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४२४. भाषण : काठियावाड़ राजनीतिक परिषद्, भावनगरमें

८ जनवरी १९२५

इस परिषद् के अध्यक्ष पदका भार ग्रहण करते हुए मुझे बहुत हिचकिचाहट हो रही थी, यह बात मैंने अपने भाषण में बताई है। लेकिन मनुष्य सोचता कुछ है तथा ईश्वर करता कुछ और ही है। ऐसे उदाहरण मैंने अपने जीवनमें अनेक बार देखे हैं और एक भी विचारशील स्त्री अथवा पुरुष ऐसा न होगा जिसे इसका अनुभव न हुआ हो।

मैंने यह भी माना था कि इस परिषद् में मुझे केवल एक ही वस्तुको प्रधानता देनी होगी, लेकिन सौभाग्यसे अब मुझे दो वस्तुओंको प्रधानता देनी होगी। पहली तो खादी, जिसके समान मुझे अन्य कोई वस्तु प्रिय नहीं है। कुछ लोग मुझे चरखेका खादीका दीवाना कहते हैं और यह बात सच है। कारण, आशिक ही माशूकको समझ सकता है। मुहब्बत, प्रेम, इश्क क्या है सो आशिक ही बता सकता है। मैं आशिक हूँ इसलिए अपने प्रेमकी बात मैं ही समझ सकता हूँ; मैं ही जानता हूँ कि मेरे हृदय में कौन-सी ज्वाला धधक रही है। लेकिन इस ज्वालाके सम्बन्धमें मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहता।

यह राजनीतिक परिषद् है और आप लोग राजनीतिक मामलोंकी चर्चाकी अपेक्षा करते होंगे। मेरा मन तो किसानका है, हालांकि मैं जन्मसे बनिया हूँ तथा मेरे पिता और उनके भी पिता मुनीमगिरी करते थे। ऐसा होनेपर भी मुझमें मुनीमगिरीपन नहीं है अथवा अगर है तो इसलिए कि मैं लाचार हूँ। लेकिन मुझमें एक अन्य वस्तु भी है ― जो विरासत में नहीं मिली लेकिन, जिसे मैंने प्राप्त किया है ― वह है किसानपन, भंगीपन, ढेढ़पन; समाजमें जिसे नीचा माना गया है, ऐसा हर पेशा मैंने अपना माना है। ऐसा मेरा स्वभाव है अतः 'राजनीतिक' का आप लोग जो अर्थ करते हैं, वैसा मैं नहीं करता। आपकी तरह मैं उसे 'मुनीमगिरी' से कूटनीति से, नहीं जोड़ता। मेरे जैसे लोग 'राजनीतिक' विषयोंपर विचार करते समय केवल राजकाजकी बातोंका ही विचार नहीं करते, क्योंकि किसान खेतकी देखभाल भाषणोंसे नहीं कर सकता, केवल हलसे ही कर सकता है; चाहे कितनी ही गर्मी और सर्दी क्यों न हो वह हल नहीं छोड़ सकता। बुनाईका धन्धा करनेवाला व्यक्ति भी तभी अपने धन्धेको साध सकेगा, जब वह अपना काम करेगा। 'राजनीतिक' का सामान्य अर्थ भाषण करना, आन्दोलन करना, राजाकी त्रुटियोंको देखना है। लेकिन मैंने उसका इससे उलटा ही अर्थ किया है। हिन्दुस्तान के बाहर अपने २२ वर्षके कार्यकालमें भी मैंने इसका दूसरा ही अर्थ किया है। लेकिन दूरके ढोल सुहावने लगते हैं, उस तरह लोग मुझे भी राजनीतिक अर्थात् मुनीम मानते आये हैं। मुझे राजनीतिक काम