पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६५१

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४२८. पत्र : मथुरादास त्रिकमजीको पोष वदी २ [ १२ जनवरी, १९२५] काठियावाड़ की यात्रामें तुम्हारी और आनन्दकी याद आती रही। तुम्हारी उप- स्थितिकी और आनन्दके स्वास्थ्य की कामना की । आश्रम पहुँचकर तुम्हारे पत्रकी बाट जोहूँगा । आनन्दसे कहना कि मैं रोज उसे याद करता हूँ । [ गुजरातीसे ] बापुनी प्रसादी भाईश्री देवचन्द भाई, ४२९. पत्र : देवचन्द पारेखकों सोमवार [ १२ जनवरी, १९२५] मैं वहाँ कल मंगलवारको तीन बजे पहुँचूँगा और सीधे बाबू साहब यशवन्त प्रसाद सिंहके यहाँ जाऊँगा । वे कल यहाँ मुझसे मिले थे और उन्होंने मुझसे अपने यहाँ ठहरनेका आग्रह किया था। आप वहाँ मिलेंगे न ? क्या आप सोजित्रा आयेंगे ? न आनेवाले हों तो कमसे कम धोलातक अथवा उसके निकटवर्ती किसी स्थानतक जरूर आ जायें, ताकि हम भविष्यके कार्यक्रमके सम्बन्ध में कुछ सलाह-मशविरा करना चाहें तो कर सकें । जो रुई इकट्ठी की गई है, उसकी क्या व्यवस्था की गई है, सो जानना चाहता हूँ । यदि हम छोटीसे-छोटी बातोंके बारेमें समुचित व्यवस्था करेंगे तो हमें सुपरिणाम प्राप्त होगा । रुई यहाँ भी इकट्ठी की जा रही है । पट्टणी साहबका कातना जारी है। मुझे मेरे सौ नाम चाहिए। आपको इस वर्ष और कोई काम नहीं करना है । आप तो अन्त्यजोंके लिए राज्योंसे, जहाँ कहीं से भी ला सकें वहाँसे, यथासम्भव सहायता लाइयेगा । शेष मिलनेपर | मोहनदास गांधी वन्देमातरम् गुजराती पत्र ( जी० एन० ५७१६) की फोटो नकलसे । १. साधन-सूत्रके अनुसार । २. गांधीजी त्रापजसे अहमदाबादके लिए १२ तारीखको रवाना हुए थे और वहाँसे १६ तारीखको सोजित्रा गये; पट्टणीजीके कताईसे सम्बन्धित उल्लेखसे विदित होता है कि यह पत्र त्रापजमें लिखा गया था। ३. भावनगर । Gandhi Heritage Portal