पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६५७

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तार : सुरेन्द्रनाथ बिश्वासको ६२१ वस्तुएँ बहुत सामान्य थीं। जो वस्तु सामान्य होती है, उसमें कितना जोर होता है, सो हम नहीं देख सकते। किसी चित्रकारने भले ही कोई बहुत मामूली चित्र बनाया हो, उसे देखकर हम वाह-वाह कर उठते हैं । कारण, हमें आदत ही ऐसी पड़ी हुई है । लेकिन हमारे सिरके ऊपर जो भव्य चित्र है, उसकी कोई कद्र नहीं करता । यह विशाल आकाश और उसमें जगमगाते तारे व चन्द्र, सूर्योदय और सूर्यास्तके समय उभरनेवाले अनेक रंग, यह सब कौन चितेरा चित्रित कर सकता है ? तथापि हम उस पर ध्यान नहीं देते। कारण, हमारी दृष्टि नीचे ही नीचे रहती है और मामूली चित्रों पर हम मुग्ध हो जाते हैं । यह दयनीय स्थिति है । इसलिए आपने आज जो प्रार्थना सुनी है और जो प्रतिज्ञा महामात्रने आपसे कराई है, सम्भव है, उसके रहस्यको आप समझ सकें हों। उसपर आप बार-बार मनन कीजिएगा, प्रतिज्ञाका पालन कीजिएगा । इस प्रार्थनामें कहे गये भव्य मंत्रोंसे वह पोषण मिलता है, जो भाषणों और लेखोंसे नहीं मिलता । यह माताके दूध जैसी स्वाभाविक खुराक है । यदि माता बच्चेको अपना दूध न दे और दूसरी स्त्री उसे तरह-तरह की अन्य खुराकें दे तो उसका क्या परिणाम होगा? कोई बालक जीवित न बचेगा । ये सामान्य वस्तुएँ ही अमृतके समान हैं, और यदि हम अपने पूर्वजोंकी इस विरासतपर मनन करें, उसे हृदयमें उतारें, उसके अनुसार आचरण करें तो हमारा जीवन सार्थक है । आप मेरे भाषणको भूल जायें, और सब कुछ भूल जायें, परन्तु इस प्रार्थनाके मंत्रोंको तथा अपनी प्रतिज्ञाको न भूलें तो माना जायेगा कि आपका और मेरा समय निरर्थक नहीं गया । [ गुजराती से ] नवजीवन, १८-१-१९२५ ४३२. तार : सुरेन्द्रनाथ बिश्वासको ' [१५ जनवरी, १९२५ या उससे पूर्व ] सम्मेलनमें शामिल होनेको उत्सुक हूँ । कृपया फरवरीके अन्तमें याद दिला दें। [अंग्रेजीसे ] गांधी अमृत बाजार पत्रिका १६-१-१९२५ १. बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनकी स्वागत समितिके अध्यक्ष। यह सम्मेलन फरीदपुरमें होनेवाला था । Gandhi Heritage Portal