पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६५८

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४३३. मेरी आस्था राजगोपालाचारीकी ओरसे यह अयाचित घोषणा सुनकर मेरे हृदयको बड़ी राहत मिली है । पाठक जानते हैं कि उनकी विवेकशीलता और परखका मैं कितना सम्मान करता हूँ। उनको सन्देहों और आशंकाओंमें उलझा देखकर मेरा मन बड़ा दुःखी था । चरखा - कार्यक्रम में 'सत्यके साथ खिलवाड़ करन' की कोई बात नहीं है, क्योंकि सत्याग्रह मुख्यतः सविनय अवज्ञा नहीं, बल्कि शान्त मनसे सत्यका अडिग अनुगमन है । सविनय अवज्ञाका रूप तो वह कभी-कभी ही धारण करता है। लेकिन, जहाँ बहुत सारे कार्यकर्त्ताओं द्वारा सविनय अवज्ञा करनेका सवाल हो, वहाँ इस राहपर चलने से पूर्व उन्हें जान-बूझकर, अपनी इच्छासे आज्ञा-पालन करना सीखना चाहिए। चरखा स्वेच्छापूर्वक आज्ञापालन और शान्त प्रयत्नशीलताका मूर्त रूप है, इसलिए सविनय अवज्ञासे पहले उसे सफल कर दिखाना नितान्त आवश्यक है । जबतक इस बातका पूरा भरोसा नहीं हो जाता कि सविनय अवज्ञाके लिए उपर्युक्त वातावरण तैयार हो गया है तबतक मनमें उसका कोई खयाल भी लानेमें मुझे ऐसा लगता है कि यह सत्यके साथ खिल- वाड़ करना होगा । इसीलिए मुझे चरखेके कार्यक्रमपर और स्वराज्यवादियोंके सामने तो क्या, सभी सम्बन्धित लोगोंके सामने पूर्ण आत्म-समर्पण करने का आग्रह रखना ही है, भले ही मेरे साथ फिर अँगुलियोंपर गिनने लायक कार्यकर्त्ता ही रह जायें । हमें सविनय अवज्ञाकी आड़ में हिंसापूर्ण अवज्ञाको पनपने का मौका नहीं देना चाहिए। चौरी- चौराकी सीख मेरे मनमें इतनी गहरी उतर चुकी है कि उसे आसानीसे भुलाया नहीं जा सकता। बारडोलीके निर्णयको लेकर मेरे मन में कोई खेद होना तो दूर, मैं तो उसे देशके प्रति की गई अपनी सबसे बड़ी सेवाओंमें से एक मानता हूँ । [ अंग्रेजीसे ] यंग इंडिया, १५-१-१९२५ ४३४. नोटिस ? मुझे बेलगाँव में निम्नलिखित नोटिस दिया गया था : नीचे हस्ताक्षर करनेवाले हम, महाराष्ट्र प्रान्तको कोलाबा जिला कांग्रेस कमेटीके प्रतिनिधिगण, अपने जिलेकी विशेष परिस्थितिकी ओर आपका ध्यान दिलाने की अनुमति चाहते हैं। कोलाबा जिलेमें न तो कपास ही पैदा होती है और न वह कपासके किसी केन्द्रके नजदीक ही है । इसलिए स्वभावतः कताईकी तरफ वहाँके लोगोंका झुकाव नहीं है । यहाँतक कि असहयोगके शुरूके दिनों में भी बड़ी मुश्किलसे वहाँ कुछ चरखे चलाये गये थे, सो भी कुछ ही महीने चल पाये। १. देखिए परिशिष्ट २ । Gandhi Heritage Portal