पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६५९

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नोटिस ? ६२३ सो इन सब तथ्योंपर खूब अच्छी तरह विचार करके कोलाबा जिला कांग्रेस कमेटीने पिछले सितम्बर माहमें एक प्रस्ताव पास किया, जिसका आशय यह था कि इस जिलेमें कताई सदस्यता सफल नहीं हो सकती और कांग्रेसके विधान में उसका समावेश हो जानसे जिलेकी प्रायः तमाम समितियोंका अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा, इसलिए कांग्रेस द्वारा कताई सदस्यता के स्वीकृत होते ही हम आपको शीघ्र से शीघ्र सूचित करते हैं कि हममें से बहुतेरे लोगोंने, उस प्रस्तावके हकमें जो राय दी है या उसके खिलाफ राय देनेसे अपने-आपको रोका है, उसकी वजह यही थी कि एक तो स्वराज्य दलने इसे अपने दलका सवाल बना लिया था और दूसरे, कांग्रेस में एकता बनाये रखनेके खयालसे ऐसा रुख अपनाना लाजिमी हो गया था। लेकिन इसपर अमल करना हमारे लिए मुश्किल है। हम पहलेसे आपको खबर किये देते हैं, जिससे आपको हताश न होना पड़े । इसपर २७ दिसम्बरकी तारीख पड़ी है और १२ सदस्योंके दस्तखत हैं, जिनमें सभापति और मंत्री भी शामिल हैं। मुझे आशा है कि ये महाशय अपनी धमकीको कार्यरूपमें परिणत नहीं करना चाहेंगे। अगर इन सज्जनोंने अनुशासन या एकताके खयालसे ही कताईवाले प्रस्तावके पक्ष में राय न दी हो या उसके सम्बन्धमें तटस्थ रहे हों तो मैं उन्हें यह बताना चाहता हूँ कि खिलाफ राय न देने या तटस्थ रहनेसे ही अनुशासन या एकताकी शर्तें पूरी नहीं हो जातीं । अनुशासनका वास्तविक पालन तो तभी हो सकता है, जब प्रस्तावपर सच्चे सिपाही की तरह आज्ञा-पालनकी भावनासे अमल किया जाये, भले ही वह बुद्धिको ठीक न जँचता हो । 'लाइट ब्रिगेड' ने जिसकी अविस्मरणीय वीरताको टेनीसनने प्रसिद्ध कर दिया है - ऐसी ही भावनासे काम लिया था । बोअर युद्धमें उन सिपाहियोंने भी इसी भावनाका परिचय दिया था, जो यह जानते हुए भी कि हम मौत के मुँह में जा रहे हैं, बराबर अपने जनरलके पीछे-पीछे गये और बोअरोंकी गोलियाँ खाते हुए स्पिअनकॉपकी पहाड़ियोंपर खेत रहे । जनरलके इस प्रस्तावपर कि पहाड़ीपर कब्जा कर लिया जाये, यदि वे कठ- पुतलियोंकी तरह 'हाँ' कह देते तो उसका कोई महत्त्व न होता, बल्कि यह चीज उनके लिए अप्रतिष्ठाका कारण बन जाती । वे इसीलिए शूरवीरोंकी श्रेणी में प्रतिष्ठित हो गये कि उन्होंने मनमें हिचक होते हुए भी ऐसा साहस दिखाया, जो प्रबलतम विश्वाससे ही सम्भव होता है। याद रखने की बात यह है कि उन्हें ऐसी लड़ाई लड़नी थी, जिसमें पराजय बिलकुल निश्चित थो। लेकिन शूरवीरोंका उदय तो पराजय सामने दिखने- पर ही होता है । किसीने ठीक ही कहा है : 'गौरवपूर्ण पराजयके क्रमकी परिणति ही सफलता है'। इसलिए अगर सालके अन्त में सदस्यताकी यह नई शर्त विफल साबित 1 १. रूस तथा मित्र देश तुर्की, इंग्लैंड, फ्रांस और सार्डिनियाके बीच (१८५३-५६ में) हुई क्रीमियाकी लड़ाई में लाइट ब्रिगेडने सेनापतिके इशारेपर अपने-आपको आग उगलती तोपोंके मुकाबले झोंक दिया था। इसी घटनाको टेनीसनने अपनी कवितामें प्रसिद्धि प्रदान की । Gandhi Heritage Portal