पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/६६१

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शाबाश ! ६२५ काँग्रेसके प्रस्तावने उन्हें यह छुट्टी दे रखी है कि वे आवश्यक हाथ-कता सूत खरीद कर कांग्रेसको दे दें। क्या वे सूत खरीदना चाहते हैं ? यदि सूत हाथ-कता हो और एक-सा तथा मजबूत हो तो खरीदकर देना भी बुरा नहीं रहेगा । [ अंग्रेजीसे ]. यंग इंडिया, १५-१-१९२५ ४३५. शाबाश ! देशबन्धुने लॉर्ड लिटनके खिलाफ हालमें जो हाथ दिखाया है, वह सचमुच कमालका है। उनकी बीमारी और फिर कौंसिल हॉलतक डोलीपर उनका पहुँचाया जाना -- इन बातोंने उनकी शानदार जीतमें एक नाटकीयता पैदा कर दी है। बीमारी की हालत में उनकी वहाँ मौजूदगी अपने-आपमें इतना कुछ कह गई कि प्रभाव शालीसे- प्रभावशाली भाषण भी उतना कारगर नहीं हो सकता था । यदि लॉर्ड लिटनमें काफी सूझबूझ और खिलाड़ियोंके योग्य भावना हो तो उनको इतनी बार मात खाने के बाद अब अध्यादेश वापस ले लेना चाहिए, कैदियोंको रिहा कर देना चाहिए और वे जो ऐसा मानते हैं कि बंगालमें हत्याका षड्यंत्र चल रहा है, उस षड़यन्त्र से निबटने की जिम्मेदारी उन लोगोंपर छोड़ देनी चाहिए जिन्होंने देशबन्धुके पक्ष में मतदान किया है। बंगाल-कौंसिलने उनके विरुद्ध मतदान किया है, इसपर उनको शिकायत नहीं करनी चाहिए। लोक-निर्वाचित विधान सभाओंका सार तत्त्व यही है कि उनका निर्माण करनेवाली सरकारको अपने अस्तित्वके लिए उनके विवेकशील समर्थनपर ही निर्भर रहना चाहिए। विधान-सभाएँ कभी-कभी हठधर्मी या मूढ़ता कर सकती हैं या कभी-कभी सरकारके प्रति उनका भाव सन्देहका हो सकता है । वैसी हालतमें सरकारको तबतक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करनी चाहिए जबतक कि वे उसके दृष्टिकोणकी हामी न हो जायें और इस बीच कुशासन या उससे भी बुरी स्थिति पैदा होनेके खतरे उठा लेने चाहिए। हमें यह उम्मीद क्यों करनी चाहिए कि लोक-निर्वाचित विधान सभाएँ निरंकुश शासनके दोषोंसे मुक्त ही होंगी ? लॉर्ड लिटन ऐसा कोई दावा नहीं करते कि उन्होंने जो कुछ किया है उससे देश राजनीतिक अपराधोंसे सर्वथा मुक्त हो जायेगा। लेकिन मुझे बहुत आशंका है कि भारतीय पत्रकार आदि जो सुन्दर- सटीक तर्क पेश कर रहे हैं, उनसे लोकमतकी अवहेलना करनेकी आदी इस सरकार के कानोंपर जूं तक नहीं रेंगेंगी, हालांकि उन सभीने लगभग एक स्वरसे लॉर्ड लिटनकी नीतिकी निन्दा की है । इसीलिए मैं भारतीय लोकसेवी जनोंसे कहता हूँ कि यदि वे अपने तर्कोंमें बल पैदा करना चाहते हैं तो उनको चरखा चलाना चाहिए। राष्ट्रको यही एक रचनात्मक शक्ति सहज सुलभ है । देशबन्धु दासने बंगाल - कौंसिलमें जो अनुशासन स्थापित कर दिया है, उसका बड़ा जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा; लेकिन तभी, जब चरखा घर-घरमें प्रतिष्ठापित हो जायेगा और उसके फलस्वरूप, विदेशी वस्त्रोंका २५-४० Gandhi Heritage Portal