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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

नहीं। मुझे इसके फायदोंपर भी एतबार नहीं। थोड़ेमें कहूँ तो मुझे इसपर इतना अविश्वास है जितना कि महात्मा गांधीको इसपर विश्वास है। यह उनके मनोविनोदका साधन है। मैं न तो इस प्रस्तावको मानूँगा और न इस्तीफा ही दूँगा। हाँ, समिति चाहे तो मुझे शौकसे निकाल दे।

किसी संस्थामें रहना कोई दिल्लगी नहीं है। उसका सभापति होना तो और भी बड़ी जिम्मेदारीकी बात है। जब-जब चरखेपर राय ली गई होगी तब-तब सम्भवतः ये महाशय भी उसके पक्षमें अपना हाथ ऊँचा उठाते रहे होंगे। पर अब, जब कि बिल्लीके गलेम घंटी बाँधनेका वक्त आया, वे आसमानपर चढ़कर अपनी नाएतबारीका शोर मचाने लगे। दिन-भरका भूला-भटका शामको घर आ जाये तो बुरा नहीं। मैं उन्हें उनके दृढ़ विश्वासपर बधाई देता हूँ; पर मुझे भय है कि मैं उनकी अवज्ञाको अनुकरणीय नहीं बनन दे सकता। संस्थाओंके सदस्य और खास करके उनके पदाधिकारी ही यदि उनकी नीतिका पालन करनेसे इनकार कर दें और उसके खिलाफ रहते हुए भी पदासीन रहें तो इस तरह दुनियाकी किसी संस्थाका काम हरगिज नहीं चल सकता। स्वराज्य हासिल करने के लिए हमें कठोर नियम-पालनकी जरूरत है। इनको तथा इनके सदृश विचार रखनेवाले सज्जनोंको जानना चाहिए कि हम एक बड़े कठिन और नाजुक काममें लगे हुए हैं। वह है सत्ताको उस संगठनके हाथसे छीननेका काम जिसके सदस्य बड़े काबिल, मेहनती, उद्योगशील, बुद्धिमान, पुरुषार्थी और सबसे बढ़कर यथावत् नियम-पालनके पूरे-पूरे आदी हैं। यदि हम बिना खूनखराबीके विजय पाना चाहते हों तो मैं बड़े अदबके साथ इन महाशयसे कहूँगा कि फर्ज कीजिए कि चरखा अपने मकसदके लिए बेकार है, तो भी अनुशासनके लिहाजसे उसके महत्त्वका अन्दाज नहीं किया जा सकता। मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि अनुशासन स्थापित करनेके एक साधनके तौरपर यदि किसीसे अपना खाना खुद ही बनाने या सिर मुड़ाने के लिए भी कहा जाये तो यह बुरी बात न होगी। ऐसी कसौटियाँ, फिर वे दूसरी तरहसे चाहे हास्यास्पद दिखाई दें, अपने ढंगसे अपना एक अलग महत्त्व रखती है। क्योंकि इससे इस बातका पता चलता है कि अनुशासनकी भावना कितनी विद्यमान है। किसी प्रस्तावके पास होनेके पहले उसका सब तरहसे विरोध करना न्यायसंगत है और कभी-कभी कर्तव्य-रूप भी होता है। पर उसके पास हो जाने के बाद दलीलकी गुंजाइश नहीं हो सकती। उस समय सदस्योंका एकमात्र यही कर्तव्य है कि या तो वे उसका तन-मनसे पालन करें या इस्तीफा देकर अलग हो जायें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २८-८-१९२४