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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मेरी योजनामें फिर बंगालके पक्ष में कोई अपवाद[१] करनेका कारण नहीं रह जाता। स्वराज्यवादी दलके लोग कांग्रेसकी ओरसे बिना किसी बाधा के अपने-आपको हर प्रान्त में संगठित कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस संगठनका तो हर जगह एक ही कार्यक्रम होना चाहिए। इस प्रकार श्री दास[२] कांग्रेस-संगठनको स्वराज्य-संगठनके रूपमें बदल सकते हैं और वे स्वयं एक ऐसा कांग्रेस संगठन भी बना सकते हैं तथा दूसरोंको बनाने दे सकते हैं जो केवल उक्त तीन काम ही करेगा। उद्देश्य यह है: कांग्रेस-संगठन दूसरे संगठनोंको न तो सहायता देगा न उनके रास्ते में बाधा डालेगा, लेकिन दूसरे सभी संगठनोंको, अगर उनके सदस्य कांग्रेसी हों तो, कांग्रेस कार्यक्रममें सहायता देनी चाहिए। उसी प्रकार जो कांग्रेसी बहुत-सी दूसरी चीजोंमें विश्वास रखते हैं वे, यदि कांग्रेसने उनका निषेध नहीं किया है तो, अपनी इन दूसरी गति-विधियोंके लिए दूसरे संगठनों में शामिल हो सकते हैं।

जहाँतक मैं देख सकता हूँ, व्यावहारिक दृष्टिसे तो सिर्फ सदस्यताकी योग्यताएँ ही बाधा बन सकती हैं, लेकिन आप देखेंगे कि अगर हम सभी लोग आर्थिक आवश्यकता के रूपमें भी खादी में विश्वास करें तो मेरी बातको स्वीकार करना जरूरी है।

आप देखेंगे कि जैसे-जैसे मेरे मनमें विचार आते गये हैं वैसे-वैसे मैं लिखता गया हूँ। आप जो निर्णय करेंगे, मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी, क्योंकि मैं तो आपकी मर्जीपर ही निर्भर रहना चाहता हूँ। मैं अब इस पारिवारिक विवादको समाप्त कर देना चाहता हूँ।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०१४०) की फोटो - नकलसे।

३८. वक्तव्य: राष्ट्रीय एकताके बारे में[३]

३१ अगस्त, १९२४

मैंने निश्चय किया है कि बेलगाँव कांग्रेसके समय या उससे पहले मेरी ओरसे ऐसा कोई विरोध नहीं होना चाहिए जिससे कि देश दो दलोंमें बँट जाये। मैंने पण्डित मोतीलाल नेहरूसे कह दिया है कि मेरा भाव तो सम्पूर्ण समर्पणका है, क्योंकि हमारी दशा एक ऐसे घर की-सी हो गई है जिसके सदस्य आपस में ही लड़नेमें लग गये हैं। हमें मनसे सारा क्रोध और द्वेष भाव दूर करके इस दशासे अपना उद्धार करने के लिए भगीरथ प्रयत्न करना चाहिए और तब हमारा देश न केवल अपने कल्याणके लिए बल्कि सारी मानवताके कल्याणके लिए काम कर सकेगा।

  1. वैसा अपवाद, जैसा कि पं० मोतीलाल नेहरूने अपने पत्रमें सुझाया था।
  2. देशबन्धु चित्तरंजन दास।
  3. बॉम्बे क्रॉनिकलने यह वक्तव्य न्यू इंडियासे उद्धृत किया था; न्यू इंडियाके अनुसार वह ३१ अगस्तको दिया गया था और उसने उसे १ सितम्बरको प्रकाशित किया था।