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भाषण: एक्सेल्सियर थियेटर,बम्बईमें

ऊपर जो-कुछ कहा गया है उसमें हम लोगोंके बीच हुए समझौतेका सारांश आ जाता है। अलबत्ता उल्लिखित 'समर्पण' के सम्बन्धमें कुछ तफसीलकी बातोंको उसमें छोड़ दिया गया है; इनका प्रकाशन, जिन कतिपय लोगोंसे इस विषयमें चर्चा करना जरूरी है उन्हें अपनी स्वीकृति प्रदान करनेके लिए आमन्त्रित करनेके बाद, कर दिया जायेगा। इस समझौतेमें हम दोनोंकी वृत्ति यह रही है कि हम अपनी कार्य-पद्धतियोंकी तुलनामें अपने देशको कहीं ज्यादा प्रेम करते हैं और हम यह करते हैं कि मानव-जातिकी प्रगतिके लिए भारतका स्वतन्त्र होना आवश्यक है।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ६-९-१९२४

३९. भाषण: एक्सेल्सियर थियेटर, बम्बईमें[१]

३१ अगस्त, १९२४

आज यहाँ इतने व्याख्यान हुए हैं कि यदि सरोजिनी देवीकी सलाहके अनसार मैं चुप ही रहूँ तो हर्ज नहीं। परन्तु इसमें एक कठिनाई है। मैं अपना हथियार घर रख आया हूँ। यदि उसे यहाँ लाया होता तो आपको पदार्थ-पाठ देकर कहता कि आप सब चरखा लेकर मेरी तरह सूत कातने लग जायें।

मुझे पता नहीं था कि सरोजिनी बहनसे मुझे आज जैसी नसीहत मिलेगी, या मेरे भाग्यमें इतने स्तुति-स्तोत्रोंको सुनना बदा होगा। मैं अपनी प्रशंसा सुन-सुनकर थक गया हूँ। आप निश्चित माने कि प्रशंसा मुझे जरा भी नहीं सुहाती। पर यहाँ इस बारेमें अधिक नहीं कहना चाहता। सिर्फ इतना ही कहूँगा कि जिन्होंने मेरी प्रशंसा की है उनका मैं कृतज्ञ हूँ और उनसे प्रार्थना करता हूँ कि वे श्री जयकरके कथनानुसार चुपचाप मुझे सहायता दें। यदि आप सबकी मूक सहायता मुझे मिलेगी तो मैं इस भारी जिम्मेदारीके कामका भार उठा सकूँगा।

कुछ और कहने से पहले मैं कुछ भाइयोंसे प्रायश्चित्त कराना चाहता हूँ। हम किसी सभामें जायें उसके पहले हमें सभाका शिष्टाचार सीख लेना चाहिए। सभामें जिसे निमन्त्रित किया गया हो उसके मनोभावको देखकर हमें उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए। यदि हम ऐसा न कर सकें तो बेहतर है कि हम वहाँ न जायें। दो-तीन भाइयोंने सभाके इस नियमको भंग किया है। भाई जमनादासने [२]जो-कुछ कहा वह अक्षरशः सच था। 'महात्मा' के नामपर अनेक वाहियात काम हुए हैं। मुझे 'महात्मा' शब्दमें से दुर्गन्ध आती है। फिर जब कोई इस बातका इसरार करता है कि मेरे लिए 'महात्मा' शब्दका ही प्रयोग किया जाये तब तो मुझे असह्य पीड़ा

  1. यह भाषण पारसी राजकीय मण्डलकी ओरसे जयकरकी अध्यक्षतामें गांधीजी के सम्मानार्थ और मलाबार सहायता कोषके लिए धन-संग्रहके निमित्त की गई सभामें दिया गया था।
  2. जमनादास द्वारकादास मेहता, होमरूल लीगके एक प्रमुख सदस्य।