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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

ही घरमें जन्म लूँगा। इसी कारण मैं कहता हूँ कि यदि भंगियों, ढेढ़ों और उड़ीसाके कंगालोंपर आपको दया आती हो तो आप विलायती कपड़े और मिलोंके कपड़ेको भूल जायें और उन गरीबों द्वारा कता और ढेढ़ों द्वारा बुना कपड़ा पहनें। वे हमें हमारी आवश्यकताके अनुसार कपड़ा किस तरह दे सकते हैं? वे तो भयभीत लोग है। काठियावाड़की कितनी ही कंगाल बहनोंको एक-दो आने रोज भी नहीं मिलते। उन्हें जब चरखे दिये गये तब कुछ पैसे मिलने लगे थे। आज उनके चरखे बन्द हो गये हैं। इसलिए वे दो-चार पैसोंके लिए रोती हैं। ऐसी बहनें बहुत है। यदि मैं इन बहनोंसे यह कह सकूँ कि जयकर कातते हैं, सरोजिनी कातती हैं, श्रीमती बेसेंट कातती है, दादाभाईकी[१] पौत्री कातती हैं और शास्त्रीजी कातते हैं, तो फिर उनके पास जाते हुए और उनसे फिर चरखा चलाने के लिए कहते हुए मुझे शर्म न लगेगी।

मैं हिन्दुस्तानमें सदाव्रत नहीं खोलना चाहता। मैं तो सदाव्रतोंको बन्द कराना चाहता हूँ। मैं मानता हूँ कि सदाव्रत हमारे माथेपर कलंक है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि सब स्वावलम्बी बन जायें। मैं इन बहनोंको चार पैसे मुफ्त नहीं दिलाना चाहता। मैं तो उन्हें केवल स्वावलम्बी बनाना चाहता हूँ। यदि आप इन बहनोंको, दूसरे गरीबोंको और ढेढ़ भंगीको भी स्वावलम्बी बनाना चाहते हों तो आप यह यज्ञ शुरू करें। हरएक शख्स अपने हाथसे कता हुआ २,००० गज सूत दे। फिर मैं एक सालमें ही स्वराज्य दिला दूँगा।

लेकिन आप याद रखें, मैं मीआदका वादा नहीं करता। अकेले आप कातेंगे तो स्वराज्य मिल जायेगा, यह नहीं कहता। लेकिन सब कातेंगे तो स्वराज्य मिल जायेगा, यह अवश्य कहता हूँ। यदि आप कातेंगे तो यकीनन दूसरोंसे भी सूत कतवा सकेंगे। भगवद्गीतामें कहा गया है 'यद्यदाचरति श्रेष्ठस् तत्तदेवेतरो जनः।' श्रेष्ठ पुरुषोंके बरतावके अनुसार ही दूसरे लोग भी चलते हैं। कहा जाता है कि इंग्लैंडके युवराज जब अपनी पोशाकका प्रकार बदलते हैं तो दूसरे लोग भी उनका अनुकरण करते हैं। आप लोग तो हिन्दुस्तानकी नाक समझे जाते हैं अथवा आप चाहते हैं कि आप वैसे समझे जायें। आप यदि सूत कातना शुरू कर देंगे तो क्या दूसरे वैसा नहीं करेंगे?

लेकिन इस बातको भी में छोड़ देता है। आप लोगोंके सूत कातनेसे स्वराज्य मिले या न मिले; किन्तु में आप लोगोंसे इतनी भिक्षा जरूर माँगता हूँ कि यदि आपके हृदयमें भिखारियोंके प्रति कुछ भी दया हो तो उस दयाभावसे प्रेरित होकर ही आप उनके लिए सूत कातें। आप भिखारियोंके साथ एक हो जायें, आप उनसे अपना तादात्म्य करें। मीराबाईने तो कहा है:

सूतरने तांतणे मने हरिजीए बाँधी,
जेम ताणे तेम तेमनी रे,
मने लागी कटारी प्रेमनी रे।[२]

  1. दादाभाई नौरोजी।
  2. मुझे हरिने सूतके धागेसे बाँध लिया है। वह मुझे जैसे नचाता है, मैं वैसे ही नाचती हूँ। मुझे हरिके प्रेमकी कटारी लग गई है।