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और रखना जरूरी हो गया है। अतः सब मिला कर हमें ६० स्वयंसेवक स्थायी रूपसे रखने पड़ रहे हैं। मझे आशा है आप इसकी आवश्यकता स्वीकार करेंगे।

२४ घंटे में ८ घंटे सोनमें; ६ घंटे सत्याग्रहमें, २ घंटे कातनेमें, एक घंटा हिन्दीके लिए, २ घंटे आश्रमके काममें (झाड़ना, बुहारना इत्यादि), २ घंटे अपने नहाने-धोने, खाने-पीने इत्यादिमें, एक घंटा वाचनालयमें और २ घंटे दैनिक प्रार्थना तथा सभामें व्यतीत होते हैं। इन सभाओंमें आमतौरपर व्याख्यानोंके लिए अच्छे-अच्छे विषय रखे जाते हैं। भाषण या तो मैं देता हूँ या विशिष्ट मेहमान लोग देते हैं। मेहमान आश्रममें प्रायः आते रहते हैं।

नारायण गुरुके [१] आदेशानुसार हमारे कोषाध्यक्ष सत्याग्रह आन्दोलनके स्मारकके रूपमें एक शाला बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। हम सब आपके पधारनेकी बाट उत्सुकतासे जोह रहे हैं। हममें से ज्यादातर लोगोंको मानो धुन ही लगी हुई है कि आपको किस तरह जल्दीसे-जल्दी बुलाया जा सकता है। मैं कामना करता हूँ कि ईश्वर आपको यहाँ जल्दी ही आने योग्य समय और स्वास्थ्य प्रदान करे।

वाइकोमके सत्याग्रही जिस जागरूकताके साथ आन्दोलनका संचालन कर रहे हैं उससे पूरा-पूरा यकीन हो जाता है कि वह सफल अवश्य होगा। इसमें समय अधिक लगनेका आभास हो सकता है, किन्तु मैंने अच्छी तरह जान लिया है कि जल्दीसेजल्दी पहुँचनेका रास्ता यही है। एकमात्र सच्चा रास्ता भी यही है। छुआछूतके खिलाफ लड़ाई एक धार्मिक युद्ध है। इसका उद्देश्य मानव-प्रतिष्ठाको स्वीकार कराना है। यह युद्ध हिन्दूधर्ममें एक बड़ा सुधार लानेके लिए है। यह धर्मान्ध लोगोंके मजबूत किलोंपर धावा है। विजय तो अवश्यंभावी है; निष्ठावान हिन्दू नवयुवकोंकी यह टोली जिस धैर्य और त्यागका परिचय दे रही है, वह व्यर्थ नहीं जायेगा। प्रतीक्षामें बीतनेवाली अवधिमें उन्हें आत्मशुद्धिका लाभ होगा। यदि वे इसमें डटे रहें, तो उनकी गणना भावी भारतवर्ष के निर्माताओंमें होगी।

जो सत्याग्रही इस बातके लिए उत्सुक हैं कि मैं वाइकोम पहुँचूँ, मैं भी उन्हें यकीन दिलाना चाहता हूँ कि वहाँ पहुँचनेको मेरी भी बड़ी इच्छा है। मैं अवसरकी प्रतीक्षामें हूँ। जब इतनी जगहोंसे निमन्त्रण मिल रहे हों, तब चुनाव करना मुश्किल हो जाता है। मेरा हृदय और मेरी शुभकामनाएँ उनके साथ हैं। कौन कह सकता है कि यह मेरी शारीरिक उपस्थितिसे कम है।

सावधान

गंजाम जिला-कांग्रेस कमेटीने एक व्यापारीका लिखा एक पोस्टकार्ड मेरे पास भेजा है। उसमें बाजारमें बेचनेके लिए २,००० गजकी आँटियोंका भाव पूछा गया है। ऐसे खुले व्यापारपर एतराज करना मुमकिन नहीं। लेकिन उन लोगोंको जो कातना नहीं चाहते और सूत खरीद कर अपना चन्दा देना चाहते हैं, बाजारसे सूत खरीदते समय सावधान रहना चाहिए। उन्हें अपना हिस्सा अपने परिवारोंमें कतवा

 
  1. अछूतोंके एक आध्यात्मिक नेता।