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विद्यार्थियों में बड़ी खलबली मचा दी है। कुछ लोग अपने ही हितको दृष्टिमें रखकर उसका अर्थ तदनुसार लगाने की कोशिश करते हैं। 'विद्यार्थी खादी पहनने के आदी हों'--इसका अर्थ कुछ लोग ऐसा लगाते हैं कि इसके द्वारा खादी पहनना अनिवार्य नहीं किया गया है और इसलिए वे कहते है कि जो लोग बिना खादी पहने पाठशालाओंमें आते है, वे रोके न जायें। अध्यापकोंको सिर्फ इतना ही करना चाहिए कि वे लड़कोंसे कहें कि खादी पहनें और धीरेधोरे खादीकी आदत डाल लें। वे कहते हैं कि अगर हमें अनिश्चित समयतक लड़के खादी पहने दिखाई न दें, तो भी हम अपनी संस्थाओंको बेलगाँवके प्रस्तावकी मर्यादाका उल्लंघन किये बिना 'राष्ट्रीय' कह सकेंगे। वे तो कहते हैं कि यदि साठ फी-सदी लड़के भी मिलके कपड़े पहन कर आयें तो भी हम अपनी पाठशालाओंको 'राष्ट्रीय' कहते रहेंगे, बशर्ते कि पाठशालाओंके शिक्षक खादी पहननके औचित्य और उसके उपयोगी होनेके विषयमें उन्हें समझाते रहें और यह आशा करें कि वे धीरे-धीरे उसे पहनने लगेंगे, चाहे छः महीने में, चाहे एक सालमें, और चाहे इससे भी ज्यादा वक्तमें।

हमारी रायमें उस प्रस्तावका यह अर्थ नहीं हो सकता। उसका अर्थ तो यह है कि विद्यार्थी बिना खादी पहने पाठशालाओंमें आ ही नहीं सकते। हाँ, आपत्कालमें या लाचारीकी अवस्थामें विद्यार्थी कभी-कभी बिना खादी पहने भी आ सकते हैं। हम समझते हैं कि इस प्रस्तावके द्वारा उन सबपर प्रतिबन्ध लग जाता है जो लगातार नियमपूर्वक बिना खादी पहने पाठशालाओंमें आते हैं। अपने क्षेत्रोंमें हम इसी तरीकेपर अपनी संस्थाओंके चलानेकी कोशिश कर रहे हैं।

इसलिए मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे, या जरूरत समझें तो 'यंग इंडिया' में, उस प्रस्तावका असली अर्थ स्पष्ट और असंदिग्ध भाषामें लिखें जिससे कि इस प्रश्नपर आपके विचार सब लोगोंको मालूम हो जायें।

मुझे 'आदी होने' के अर्थके सम्बन्धमें जरा भी संशय नहीं है। पत्र-प्रेषक महाशयने उसका जो अर्थ किया है उसका वही अर्थ हो सकता है। कांग्रेसके प्रस्तावके अनुसार वह पाठशाला राष्ट्रीय नहीं कहला सकती जिसके विद्यार्थी आदतन खादी न पहनते हों। लेकिन शब्दोंका अर्थ ढूँढ़नेके लिए तो सबसे अच्छा मार्ग है कोश देखना। ऑक्सफर्ड डिक्शनरीमें 'हेबिच्युअल' (आदी होना) का अर्थ है 'रायज,' 'निरन्तर' 'क्रमबद्ध'।

क्या वे सरकारसे सम्बद्ध हों?

तब यह सवाल पैदा होता है कि क्या वे पाठशालाएँ जो इस शर्तको पूरा नहीं करतीं, सरकारी संस्थाओंसे सम्बद्ध हो जायें? निश्चय ही, जिस पाठशालाने असहयोग किया है उसका यह रास्ता नहीं हो सकता। देशमें कांग्रेस तथा सरकार दोनों ही से स्वतन्त्र रहकर चलनेवाली पाठशालाओंके लिए काफी जगह है। ऐसी