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टिप्पणियाँ

शिक्षा दी जाती है। किन्तु मैं देखता हूँ कि ऐसे मित्रोंने जो कमसे-कम मेरे बराबर अंग्रेजी जानते हैं इस वाक्यका दूसरा अर्थ किया है। मेरे लिए सान्त्वनाकी बात केवल इतनी ही है कि वे और मैं दोनों ही एक ऐसी भाषामें लिखे वाक्यके अर्थका निर्णय कर रहे हैं जो हम दोनोंके लिए विदेशी है। इसलिए यह सोचकर मुझे बहुत ही कम सन्तोष मिलता है कि जैसे मैं अपने अर्थमें भूल कर सकता हूँ वैसे उनके अर्थमें भी भूल होनी सम्भव है। किन्तु मैं उनको यह आश्वासन दे सकता हूँ कि मैंने गुजरातका उल्लेख केवल एक उदाहरणके रूपमें किया है और किसी दूसरे प्रान्तको छोड़कर गुजरातका उल्लेख इसलिए किया कि मेरे पास गुजरातके सम्बन्धमें आँकड़े थे। वाक्यमें मेरा जोर विश्वविद्यालयपर रहा हो और विद्यालयों और महाविद्यालयों पर न रहा हो, ऐसी बात नहीं है। मुझे भाषण लिखते समय भी यह मालूम था कि राष्ट्रीय विश्वविद्यालय गुजरातमें ही नहीं बल्कि अन्यत्र भी हैं। तिलक महाराष्ट्र विश्वविद्यालयके अतिरिक्त, अलीगढ़में मुस्लिम राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, लाहौरमें पंजाब विश्वविद्यालय, पटनामें बिहार विश्वविद्यालय और बनारसमें काशी विद्यापीठ हैं। मुझे पंजाब और बिहार विश्वविद्यालयों और काशी विद्यापीठके खर्चका पता नहीं है। लेकिन मैं जानता हूँ कि मुस्लिम विश्वविद्यालयपर पिछले साल लगभग ७५,००० रुपये खर्च हुए थे।

स्वयंसेवक

कांग्रेस सप्ताहमें बेलगाँवमें स्वयंसेवकोंने जो काम किया था, उसके सम्बन्धमें मेरे विचार पूछे गये हैं। मैंने समझा था कि मैं अपने बेलगाँवके अनुभवोंमें उसका उल्लेख कर ही चुका हूँ। फिर भी मैं उनकी इच्छानुसार उस विषयमें अपनी राय व्यक्त करता हूँ। उनके कामपर अधिक विस्तृत रूपसे और अलगसे लिखूँगा। मेरी रायमें स्वयंसेवकोंने बेलगाँवमें जो कार्यदक्षता दिखाई, वह मेरी देखी हुई पिछली तीन कांग्रेसोंकी अपेक्षा कहीं अधिक थी। स्वयंसेवक कठोर परिश्रमी, कार्यकुशल और मनसे काम करनेवाले थे। उनके सम्बन्धमें प्रतिनिधियोंसे कोई शिकायत नहीं सुनी गई। मुझे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा लगा। डाक्टर हार्डीकरने [१] मुझे उनका शिविर दिखानेकी कृपा की थी। वहाँ मुझे सारा वातावरण कामकाजी और काफी स्वच्छ और व्यवस्थित दिखाई दिया। काफी स्वच्छ और व्यवस्थित इसलिए कहता हूँ कि मेरी रायमें शिविर इस मामलेमें आदर्श होना चाहिए। कोई भी चीज इधर-उधर पड़ी हुई नहीं होनी चाहिए और हर चीज अपनी जगह ही नहीं, बल्कि वहाँ साफ-सुथरे ढंगसे रखी होनी चाहिए। उदाहरणार्थ, एक स्वयंसेवकका बिस्तर जहाँ चाहिए वहाँ रखा हुआ तो हो सकता है, लेकिन वह ठीक तरह और सफाईसे लपेटकर रखनेके बजाय एक ढ़ेरकी शक्लमें भी पड़ा हो सकता है। सफाईकी दृष्टिसे भी स्वयंसेवकशिविरमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उसमें कहीं कागजकी एक चिन्दी या धूल पड़ी नहीं मिलनी चाहिए। मुझे मालूम हुआ है कि डा० हार्डीकरने स्वयंसेवकोंकी

 
  1. हिन्दुस्तानी सेवादलके संगठनकर्त्ता। बादमें यह दल कांग्रेसका एक महत्त्वपूर्ण स्वयं सेवक संगठन बन गया था।