पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१०६

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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय संख्या जानबूझकर सीमित रखी थी। इसलिए उनके पास बहुत ज्यादा काम था। जबतक कांग्रेसका अधिवेशन चला, तबतक उनको प्रतिदिन १६ घंटेसे अधिक काम करना पड़ा। इस दौरानमें वे प्रायः खड़े ही रहते थे। मुझे स्वयंसेविकाओंके कामका उल्लेख करना भी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने अत्यधिक सहायता दी और ध्यानपूर्वक काम किया। उनको भी पहले प्रशिक्षण दिया गया था। यद्यपि हम स्वयंसेवकोंकी सुयोग्य सहायताके बिना कांग्रेसके अधिवेशनकी व्यवस्था नहीं कर सकते, फिर भी मैं कहना चाहता हूँ कि वह काम तो स्वयंसेवकके प्रशिक्षणका बहुत ही छोटा अंश है। स्वराज्यकी प्राप्तिमें स्वयंसेवकोंको हमारे लिए सबसे बड़े भरोसेकी चीज होना चाहिए। इस कामको वे तभी पूरा कर सकते हैं जब उनका चरित्र निष्कलंक हो और कवायद एवं सफाई करने और घायलोंको प्राथमिक सहायता देनेका आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकनेके अलावा वे स्वराज्यके लिए राष्ट्रका संगठन करना भी जानते हों। इसलिए इस उद्देश्यकी पूर्तिके लिए प्रत्येक स्वयंसेवकको रुई धुनने और सूत कातनेमें दक्षता प्राप्त करनी चाहिए और अपने हिस्सेका सूत कातनेके अतिरिक्त, जो मताधिकारके लिए आवश्यक है, उनमें अपने-अपने जिलेमें रुई धुनने और सूत कातनेके कामका संगठन करनेकी क्षमता होनी चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि हाथसे सूत कातना सन् १९२१ से ही स्वयंसेवकोंके प्रशिक्षणका एक अंग है। सच हो तो फिर क्या पूछना एक सज्जन अपने पत्रमें मुसलमानोंकी इस शिकायतकी कि मुसलमानोंमें शिक्षाकी बुरी हालत है, सख्त आलोचना करते हुए लिखते हैं कि इस मामलेमें आपको धोखा दिया जा रहा है। मेरी जानकारीके लिए उन्होंने कुछ बड़े मार्केके आँकड़े भी एकत्र करके भेजे हैं जिनसे दोनों सम्प्रदायोंकी साक्षरताके अनुपातका पता चलता है। उन्हें मैं नीचे उद्धृत करता हूँ : पुरुष प्रान्त हिन्दू मुसलमान फी हजार फी हजार २८८ बर्मा म० प्रां० और बरार मद्रास संयुक्त प्रान्त बड़ौदा म०प्र० ३०२ २२५ २०१ १७० ७३ ७१ २३४ ५९ मैसूर ३०९ १६९ २३८ ८३३ १४२ १४० ९१ ८० सिक्किम ग्वालियर हैदराबाद राजपूताना ४७ ५७ Gandhi Heritage Portal