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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

विभिन्न प्रान्तोंके धर्मानुयायियोंकी अनुपातिक संख्या दी गई है। यह आँकड़े १९२१ की जनगणनापर आधारित हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ५-२-१९२५

३६. तार : सुरेन्द्रनाथ विश्वासको

५ फरवरी, १९२५

सुरेन्द्रनाथ विश्वास [१]
१६ ए० गोविन्द घोषाल लेन
कलकत्ता

आगामी मासके आरम्भसे पहले तारीख निश्चित करना असम्भव। मेरा सुझाव आप मुझे ध्यानमें न रखकर तारीख [२] निश्चित करें।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

३७. भाषण: रावलपिंडीमें[३]

५ फरवरी, १९२५

मैं पिछले दिसम्बरमें यहाँ था। उस समय मेरी आपकी कुछ बातें हुई थीं। [४] तब मैंने कहा था कि यदि आप सब लोग कोहाट नहीं चले गये तो मैं यहाँ दुबारा आऊँगा और आपसे बात करूँगा। और यदि तबतक कोहाटसे कुछ मुसलमान भाई आ जायेंगे तो मैं कुछ पूछताछ भी करूँगा।

कोहाटसे कुछ मुसलमान भाई आये हैं। मैं उनसे बातचीत भी कर रहा हूँ। मैं आपको उसके परिणामस्वरूप [फिलहाल] ऐसी सलाह कदापि नहीं दे सकता कि आप कोहाट वापस जायें। मैं ऐसी आशा करता था कि उनसे बातचीत करनेका कोई अच्छा परिणाम निकलेगा। मैं निराश तो नहीं हुआ हूँ; किन्तु आज तो कोई

 
  1. बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनको स्वागत समितिके अध्यक्ष।
  2. अनुमानत: बंगाल प्रान्तीय सम्मेलनके अधिवेशनकी तारीख, देखिए खण्ड २५, पृष्ठ ६२१।
  3. यह भाषण सितम्बर १९२४ के दंगोंके कारण कोहाटसे आये हुए हिन्दुओंके सम्मुख दिया गया था।
  4. देखिए खण्ड २५, पृष्ठ ४४२-४४४।