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कोहाटके दंगोंके बारेमें कमाल जिलानीसे जिरह

प्रश्न: क्या आप जानते हैं कि वह पृष्ठ जिसमें वह कविता थी सभी प्रतियोंमें से फाड़कर निकाल दिया गया था?

उत्तर: मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं।

प्रश्न: क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म सभाने बाकी प्रतियोंको डिष्टी कमिश्नरके पास भेज दिया था और वे वहाँ जला दी गई थीं?

उत्तर: हाँ, बाकी प्रतियाँ अदालतमें भेज दी गई थीं और वे वहाँ जला दी गई थीं।

प्रश्न: क्या उस पुस्तिकाका प्रकाशक जीवनदास गिरफ्तार कर लिया गया था?

उत्तर: हाँ, साहब!

प्रश्न: क्या जीवनदासकी गिरफ्तारी काफी नहीं थी?

उत्तर: जहाँतक मेरा ताल्लुक है, यह काफी थी। जब जीवनदास हवालातमें भेजा गया था तब उसपर मुकदमा चलानेका वादा किया गया था और पुस्तिकाकी बाकी प्रतियाँ जला दी गई थीं।

प्रश्न: क्या ऐसा करनेपर मुसलमानोंकी कोई शिकायत बाकी रह गई थी?

उत्तर: शिकायतकी कोई गुंजाइश रहनी तो नहीं चाहिए।

प्रश्न: क्या आप जानते हैं कि ये प्रतियाँ कब जलाई गई थीं?

उत्तर: ३ सितम्बर, १९२४ को।

प्रश्न: क्या आप यह भी जानते हैं कि जीवनदास जमानतपर रिहा कर दिया गया था?

उत्तर: मैंने सुना था कि जीवनदास रिहा कर दिया गया है। वह जमानतपर रिहा किया गया था या किसी और तरह रिहा किया गया था, यह मैं नहीं जानता।

प्रश्न: क्या वह कोहाटसे बाहर भेज दिया गया था। और बादमें छोड़ दिया गया था?

उत्तर: हाँ।

प्रश्न: क्या इससे मुसलमान नाराज हुए थे?

उत्तर: हाँ; मुसलमान डिप्टी कमिश्नरने यह वादा किया था कि जीवनदासपर मुकदमा चलाया जायेगा; वह फिर भी छोड़ दिया गया। इससे मुसलमान आग बबूला हो गये थे।

प्रश्न: क्या इसपर मुसलमानोंका कोई जलसा हुआ था?

उत्तर: मैंने सुना था कि इसपर ८ सितम्बरकी रातको मुसलमानोंका एक जलसा हुआ था।

प्रश्न: क्या मुसलमान वहाँ बड़ी संख्यामें इकट्ठे हुए थे और ९ सितम्बरकी रातको डिप्टी कमिश्नरके पास गये थे?

उत्तर : हाँ, साहब!