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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: क्या आप उस जलसेमें मौजूद थे?

उत्तर: मुझे उसकी कोई इत्तिला नहीं मिली थी।

प्रश्न: क्या आपको उसके तथ्योंकी जानकारी केवल सुनी-सुनाई बातोंसे मिली?

उत्तर: हाँ, साहब; मैंने भीड़ बाजारसे गुजरती हुई देखी थी। उसमें से कुछ लोग डिप्टी कमिश्नरके पास जा रहे थे और कुछ उनके पाससे आ रहे थे। मैंने बाजार जाते समय भीड़ टाउन हालके पास देखी थी।

प्रश्न: भीड़में कितने आदमी थे?

उत्तर: भीड़ में करीब १५०० आदमी होंगे। ९ सितम्बरको बाजारमें हड़ताल थी। हिन्दुओं और मुसलमानों, दोनोंकी दूकानें बन्द थीं; जहाँ-तहाँ कुछ सिख अपनी दूकानोंके सामने खड़े थे। उनको दूकानें खोलने के लिए मजबूर किया गया था।

प्रश्न: यह किस समयकी बात है?

उत्तर: मैं शहरमें ९ बजे गया था। जब मैं ११.३० बजे लौटा तब सभी दूकानें बन्द हो गई थीं।

प्रश्न: क्या आपने भीड़को, जब वह डिप्टी कमिश्नरके पास जा रही थी और जब वह वहाँसे लौट रही थी, दोनों बार देखा था?

उत्तर: मैंने दोनों ही वक्त उसे देखा था। जब यह लौट रही थी तब मैं छावनी दरवाजेके अन्दर था और जब जा रही थी तब टाउन हालके पास था।

प्रश्न: भीड़ किस ओर जा रही थी?

उत्तर: ९ बजे टाउन हालकी ओर जा रही थी।

प्रश्न: क्या आपने भीड़के किसी आदमीसे बातचीत की थी?

उत्तर: मैंने शहरसे लौटते समय कुछ लोगोंसे बातचीत की थी।

प्रश्न: आपने किस तरहकी बातचीत की थी और आपको क्या जवाब मिला था?

उत्तर: मैंने पूछा कि मामला क्या है और लोग कहाँ जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि वे यह पूछने के लिए डिप्टी कमिश्नरके पास जा रहे हैं कि जीवनदासको क्यों छोड़ दिया गया और ११ तारीख मामलेकी सुनवाई के लिए निश्चित करनेपर भी उनको दिया गया वादा क्यों तोड़ दिया।

प्रश्न: क्या आपने सिर्फ यही बातचीत की थी?

उत्तर: कुछ और भी बातचीत की थी। लेकिन वह लगभग इसी तरहकी थी।

प्रश्न: क्या आपने उन्हें ऐसा करनेसे रोकनेकी कोशिश की थी और उनपर आपकी कोशिशोंका कोई असर पड़ा था?

उत्तर: मैंने उन्हें कहा था कि कमसे-कम हमें (हिन्दुओं और मुसलमानोंको) इस तरहका व्यवहार नहीं करना चाहिए। आपसमें झगड़नसे हम तीसरे पक्षको (सरकारको) अपने कामोंमें हस्तक्षेप करनेका मौका देते हैं। लेकिन मेरे कहनेका उनपर कोई असर नहीं पड़ा।