था कि यह उनका मन्दिर है और सिख कहते थे कि यह उनका गुरुद्वारा है। कुछ हिन्दू साधु इस गुरुद्वारेमें बैठते और चरस पीते थे, इसपर सिखोंने घोर आपत्ति की। इसके बाद सिख बड़ी संख्यामें वहाँ आये और उन्होंने साधुओंको गुरुद्वारेसे निकाल दिया और उसपर कब्जा कर लिया। इसके कारण पुलिसका एक थानेदार कुछ सार्जेन्टों और पुलिस सिपाहियोंके पूरे दलके साथ कई हफ्तों वहाँ पड़ा रहा ताकि झगड़ा न हो, क्योंकि गुरुद्वारा शहरसे बाहर था।
दोनों कौमोंके सम्माननीय नेताओंसे अमन और नेकचलनीकी जमानतें जमा कराई गई थीं और मुचलके लिये गये थे। मैंने खुद कब्रिस्तानके सामनेका अपना एक जमीनका टुकड़ा उस साधुको दिया था। इस साधुने एलान किया था कि मैं जबतक उस गुरुद्वारेको नहीं जला दूँगा, तबतक वहाँसे नहीं जाऊँगा। दंगोंके दौरान वह साधु दो सम्मानित हिन्दू नेताओंके साथ, जिन्होंने उसके पास पनाह ली थी, दो दिनतक वहाँ रहा और उसने अपने जीवनको खतरेमें डाल कर दूसरे दो हिन्दुओंके जीवनकी रक्षा की। मैंने बाद में सुना कि कुछ सिख सज्जनोंने पुलिसमें रिपोर्ट की है कि लोगोंने उस साधुके उभाड़नसे गुरुद्वारा जलाया है, इसलिए पुलिसने उस साधुको वहाँसे हटा दिया और जिलेसे बाहर भेज दिया।
प्रश्न: क्या आपने इस गुरुद्वारेके अलावा कोई और मन्दिर या गुरुद्वारा ऐसा देखा है जो जला दिया गया हो?
उत्तर: मैने नहीं देखा। (याद दिलानेपर गवाहने स्वीकार किया कि थान जोगरान भी जो लगभग लकड़ीका बना हुआ था, जलाया गया है।)
प्रश्न: क्या आप जानते हैं कि ९ और १० तारीखको कितने हिन्दू और कितने मुसलमान मारे गये थे?
उत्तर: मैं ऐसे किसी हिन्दूको नहीं जानता जो उस रात शहरमें मारा गया हो। (मुसलमानोंमें से) ३ लोग मारे गये थे और ३ या ४ घायल हुए थे। इनमें वे लड़के भी शामिल हैं।
प्रश्न: क्या आप लड़कोंकी उम्र जानते हैं?
उत्तर: मैंने सुना है कि एक लड़केकी उम्र १० या ११ सालकी थी।
प्रश्न: उनमें से एक बच्चा था या दोनों बच्चे थे?
उत्तर: दोनों बच्चे थे--एककी उम्र १० या ११ सालकी थी और दूसरा उससे कुछ बड़ा था।
प्रश्न: क्या आपको १० सितम्बरके हताहतोंके बारेमें कोई जानकारी है?
उत्तर: बाकी सभी हताहत १० सितम्बरके हैं। आठ मुसलमान मारे गये थे। घायलोंकी संख्या इससे ज्यादा थी। लेकिन हिन्दुओंमें हताहतोंकी संख्या मुसलमानोंसे ज्यादा थी।