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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: हिन्दू कोहाटसे रावलपिंडी कब पहुँचे?

उत्तर: ग्यारह तारीखको रायबहादुर मथुरादास और रायबहादुर ईश्वरदासने मुझे खबर भेजी थी कि वे कमर्शियल हाउसमें रह रहे हैं और मैं उन्हें रेलवे स्टेशन पहुँचा दूँ। मैं वहाँ दो मोटरें लेकर गया और सात फेरोंमें उनको और उनके रिश्तेदारोंको रेलवे स्टेशनपर पहुँचा आया। कमर्शियल हाउसमें और सड़कोंपर पड़े हिन्दुओंकी हालत बहुत खराब थी। उनको औरतें भी सड़कोंके किनारे बुरी हालतमें बैठी थीं। सरकारने न तो उनके रहनेका इन्तजाम किया था और न उन्हें रेलवे स्टेशन पहुँचानेका।

प्रश्न: वे कमर्शियल हाउसमें कब गये थे?

उत्तर: मुझे उनसे मालूम हुआ कि वे कमर्शियल हाउसमें १० सितम्बरको गये थे।

प्रश्न: हिन्दू कहते हैं कि ९ और १० सितम्बरके बीच बहुतसे हिन्दुओंको जबरदस्ती मुसलमान बनाया गया। क्या आप इस बारेमें कुछ जानते हैं?

उत्तर: मेरे खयालमें कोई भी हिन्दू जबरदस्ती मुसलमान नहीं बनाया गया था, लेकिन कुछ हिन्दुओंने मुसलमानोंके यहाँ पनाह ली थी। उन्हें यह महसूस हुआ कि उनकी जिन्दगी खतरे में है इसलिए उन्होंने खुद दरखास्त की थी कि उनकी चोटी काट दी जाये और हिन्दुत्वके अन्य चिह्न हटा दिये जायें। उनको पनाह देनेवालोंने यह महसूस किया कि हिन्दुओंकी जिन्दगी सचमुच खतरेमें है इसलिए उन्होंने उनकी चोटियाँ काट दीं और यह जाहिर कर दिया कि वे मुसलमान हो गये हैं।

प्रश्न: आपने एक और तरीकेका भी जिक्र किया था?

उत्तर : उस तरहकी कोई घटना शायद हुई, हो किन्तु किसी ऐसी घटनाकी मुझे जानकारी नहीं है जब किसी मुसलमानने किसी हिन्दूकी जान बचानके लिए उसे मुसलमान हो जानेकी सलाह दी हो और उसकी चोटी काटी हो। फिर भी मैं विश्वास कर सकता हूँ कि ऐसी घटना हुई होगी।

प्रश्न: आप ऐसा विश्वास क्यों करते हैं कि कुछ मुसलमानोंने हिन्दुओंको शायद सलाह दी हो कि वे अपनी जान बचानेके लिए मुसलमान बन जायें?

उत्तर: सिर्फ इसलिए कि गाँवोंके लोग अशिक्षित थे और उनसे हिन्दुओंकी जाने बचाना एक मुश्किल बात थी।

प्रश्न: क्या आप इस तरह मुसलमान बनाये गये आदमीको मुसलमान समझते हैं?

उत्तर: जबतक इस तरहका आदमी शान्तिके वातावरणमें अपनी स्वतन्त्र इच्छासे एलानिया यह नहीं कहता कि वह मुसलमान है तबतक वह मुसलमान नहीं समझा जा सकता।

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०५३०) से।