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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उसके पास एक शिष्टमण्डल भेजा भी गया था। मेरे कहनका मतलब यह है कि सरदारके लड़केको दण्ड नहीं दिया गया और मालीको न्याय नहीं मिला। जब कोई हिन्दू या सिख ऐसा करनेका दुस्साहस करता है तब मुसलमानोंको बहुत आघात लगता है। यह भी अफवाह थी कि सरदार माखनसिंहने मालीको कुछ रुपये देकर चुप कर दिया है। यह बात भी फैलाई गई थी कि सरदार माखनसिंहने दूसरे अवसरोंपर भी रुपये देकर अपना बचाव किया है।

प्रश्न: यह वाकया कब हुआ था?

उत्तर: लगभग एक साल पहले अर्थात् पुस्तिकाकी घटनासे पूरे एक साल पहले जब जीवनदास गिरफ्तार करके हवालातमें रखा गया था तब सरदार माखनसिंह गैरसरकारी निरीक्षकके रूपमें जेलमें गये थे। जेलके सुपरिंटेंडेंटने निरीक्षकके रूपमें उनके व्यवहारकी शिकायत की थी, क्योंकि उन्होंने जेलकी व्यवस्थासे हस्तक्षेप किया था। सुपरिंटेंडेंटने जीवनदासको काल कोठरीमें रखा था; लेकिन सरदार साहबने कहा कि उसे वहाँसे निकाल लिया जाये। चूँकि जीवनदासकी लड़कीकी सगाई सरदार माखनसिंहके लड़के से हुई थी, इसलिए यह अफवाह भी फैल रही थी कि सरदार साहब जीवनदासको कुछ ही घंटोंमें रिहा करा देंगे। इसके बाद जब पहली बार गोली चली तब सबसे पहली बात यह सुनी गई कि सरदार साहबके मकानके सामने लड़के मारे गये हैं। पिछली बातें तो थीं ही, फिर जीवनदासको रिहाई और सरदार साहबके मकानके सामने गोली चलनेसे मुसलमान उत्तेजित हो गये। और मेरे विचारमें दंगेका कारण यही है।

प्रश्न: यह अफवाह फैलाई किसने कि सरदार साहब और उनके लड़केने गोली चलाई?

उत्तर: जब मैं अदालतमें था औरलो गोंको यह आश्वासन दिया जा रहा था कि जीवनदासपर मुकदमा चलाया जायेगा तब दूसरे हिन्दुओंके खिलाफ हमारी कोई शिकायत नहीं थी। जब अदालतने अपराधोके खिलाफ कार्रवाई करनेका फैसला किया, तब मुसलमान सन्तुष्ट हो गये। अभी आरोपका आधार तैयार किया जा रहा था कि इतनेमें ही खबर मिली कि बाजारमें गोली चल गई है। अहमद खाँने मुझे खबर दी और मुझे साथ लेकर कारमें घटना-स्थलकी ओर रवाना हो गये। कारमें हमारे अलावा तीन मुसलमान और थे। हम छावनी दरवाजेसे शहरमें घुसे और अभी हम सरदार साहबके घरसे पचास कदम इधर ही थे कि हमें पचास साठ आदमियोंकी एक भीड़ मिली। ये लोग हमें रोकने के लिए आये थे। उन्होंने हमसे कहा कि हमें आगे नहीं जाना चाहिए, क्योंकि गोली चल रही है। एक लड़का सरदार माखनसिंहके बालाखाने के पास मरा पड़ा है और एक आदमी घायल हो गया है। इसपर कार पीछे-ही-पीछे कोतवाली ले जाई गई। वह घुमाई नहीं जा सकी क्योंकि वहाँ इतनी जगह नहीं थी। कोतवाली वहाँसे करीब सौ कदम होगी।