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कोहाटके दंगोंके बारेमें अहमद गुलसे जिरह

इस्लामको सेवाका अवसर आया है तब संकोच कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार पहले भी पीर कमाल साहब और मने सरदार माखनसिंहसे रिश्वत लेकर मुसलमानोंकी इज्जत में बट्टा लगाया है।

प्रश्न: इसके बाद पुस्तिकाके बारेमें क्या हुआ?

उत्तर: इसके बाद २ सितम्बरको मुझे इशाकी नमाजके बाद, अर्थात् ९-३० बजे रातको सनातन धर्म सभाका एक पत्र मिला उसमें सभाके हिन्दुओंने पुस्तिकाको छापनेपर हिन्दू समाजकी ओरसे माफी माँगी थी। ३ सितम्बरको मैं वह पत्र परचगन मुहल्लेमें ले गया जहाँ मैं मातमपुरसीके लिए गया था और जहाँ विभिन्न जातियोंके लोग इकट्ठे हुए थे। मैंने उस पत्रको उनके सामने पढ़कर कहा कि सनातन धर्म सभाने इन लफ़्जों में माफी माँगी है। जब मैंने उनके सामने पत्र पढ़ा तब उन्होंने इससे सन्तुष्ट होनेके बजाय, यह महसूस किया कि पत्रका लहजा और लिखनेका तरीका... [१] उनमेंसे एकने पत्रपर इस तरहकी टिप्पणी की कि जब महायुद्ध में सिपाही मारे गये तब बादशाहने शोक प्रकट किया था। यह पत्र इसी प्रकारका है। इसमें न तो माफीका कोई लफ्ज है और न इस तरहका कोई मजमून। इसके बाद सारा मजमा पुलिस सुपरिंटेंडेंट और असिस्टेंट कमिश्नरके पास गया, ताकि अपराधीके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। उस समय डिप्टी कमिश्नर उस्मानामें थे। असिस्टेंट कमिश्नरने हमें अदालतमें चलने को कहा और खुद भी अदालत गया। पुलिसके सिपाही जीवनदासको लानेके लिए भेजे गये और वह हमारे सामने कमरेमें लाया गया। इसके बाद पुस्तिकाएँ भी मँगा ली गई और वहीं असिस्टेंट कमिश्नरके सामने जला दी गई। जीवनदास हवालातमें बन्द कर दिया गया।

प्रश्न: आपने कहा कि आप मातमपुरसीके लिए गये थे और वहाँ आपने पत्र पढ़कर सुनाया और उसे लोगोंने पसन्द नहीं किया। क्या हिन्दुओंने भी कुछ किया था?

उतर: मुझे मालूम हुआ था कि कुछ लोगोंने मेरी जानकारीके बिना हिन्दुओंके साथ मिलकर यह तय किया है कि इस जगहके रिवाजके मुताबिक सनातन धर्म सभाके सदस्यों को इसी निमित्त जिरगेके रूपमें बुलाई गई सभामें आना चाहिए ताकि उलेमाओंकी सलाहसे मामलेका फैसला किया जा सके।

प्रश्न: लोगोंने कहा कि पत्र सन्तोषजनक नहीं है। क्या आप इस बारेमें उनसे सहमत हो गये थे?

उत्तर: उस समय उनके रुखको देखकर मैंने यही ठीक समझा कि मैं अपनी कोई राय न दूँ। इसलिए मैंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया।

प्रश्न: लेकिन आपकी राय क्या थी?

उत्तर: मेरी राय भी वैसी ही थी। पत्रमें माफीकी कोई गन्ध नहीं थी।


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  1. मूलमें यहाँ खाली जगह है।