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कोहाटके दंगोंके बारेमें अहमद गुलसे जिरह

प्रश्न: आप डेढ़ बजे मोटरमें गये थे?

उत्तर: हाँ।

प्रश्न: क्या सरदार माखनसिंहका बाग शहरसे बाहर है?

उत्तरः वह अदालतके नजदीक है।

प्रश्न: क्या वह उस दिन जला दिया गया था?

उत्तर: मुझे पीछे मालूम हुआ था कि पहले दिन बच्चोंने बागके फल तोड़े थे और फलदार दरख्तोंको ज्यादातर खराब कर डाला था। उन्होंने उसके छोटे पौधे भी उखाड़ फेंके थे। इसके बाद दूसरे या तीसरे दिन मैंने यह भी सुना कि उनका बागमें बना घर जला दिया गया है।

प्रश्न: हिन्दू लोग कहते हैं कि यह घर ९ तारीखको जलाया गया था।

उत्तर: मेरी जानकारीके मुताबिक यह ९ तारीखको नहीं जलाया गया इसका मुझे पूरा विश्वास है।

प्रश्न: क्या कोहाटमें लूटमार और आगजनी ९ तारीखको शुरू हुई थी?

उत्तर: बाजारमें शुरू हुई थी। जब मैं वहाँसे रवाना हुआ था तब तो सबकुछ ठीक था। हिन्दुओं और मुसलमानोंके घर जलाये और लूटे गये थे।

प्रश्न: क्या आप ९ तारीखको अपने घरके अन्दर रहे?

उत्तर: मैं बाहर नहीं निकला। लोग मेरे पास आ रहे थे और मुझे खबर दे रहे थे।

प्रश्न: ९ तारीखको किस वक्ततक लूटमार और आगजनी जारी रही?

उत्तर: मेरा खयाल है कि ९ तारीखको बाजार दो घंटेके अन्दर जला दिया गया। राततक लपटें उठ रही थीं। दूसरे दिन भी धुआँ निकल रहा था। उसी वक्त मैंने सुना कि लूटमार हो रही है।

प्रश्न: आगजनी कब शुरू हुई?

उत्तर: मुझे बताया गया था कि ढाई बजे आगकी लपटें देखी गई थीं। [१]

प्रश्न: आपने कहा कि आपने गोली चलनेकी खबर ९ तारीखको अदालतमें सुनी थी और उसे सुनकर आप मोटरमें आये थे। गोलियाँ कहाँसे आती है, यह आपने खुद देखा था या किसीसे सुना था?

उत्तर: यह मैंने नहीं देखा था। मरे बच्चे भी मैंने नहीं देखे थे। सरदार साहबके मकानको ऊपरी मंजिलसे गोली चली है और इसके फलस्वरूप एक लड़का मर गया है, एक आदमी घायल हुआ है, यह बात मुझे तभी बताई गई थी।

प्रश्न: क्या आपने इसके बारेमें कोई पूछताछ की थी?

उत्तर: नहीं।

 
  1. जिरह यहाँ, दोपहरके साढ़े बारह बजे बन्द करके फिर साढ़े छः बजे शामको शुरू की गई थी।