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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: क्या आप अब भी विश्वास करते हैं कि सरदार साहबने गोली चलाई थी?

उत्तर: लोगोंने मुझसे ऐसा कहा था कि सरदार साहबने गोली चलाई है। कुछ लोग कहते थे कि एक आदमी तहसीलके पास मारा गया है। कुछ दूसरे लोगोंका कहना था कि सबसे पहले मरनेवाला यही आदमी था।

प्रश्न: क्या वह सरदार माखनसिंहकी गोलीसे मरा था?

उत्तर: मैंने यह बात सुनी थी।

प्रश्न: यह इतनी बड़ी बात थी और आपने फिर भी पूछताछ नहीं की?

उत्तर: मैंने किसी भी बातके बारेमें पूछताछ नहीं की। मैं कुछ भी सोच नहीं सका। उस वक्त मेरे दिमागकी हालत ऐसी थी कि मैं कोई राय कायम नहीं कर सकता था।

प्रश्न: आपके और सरदार साहबके सम्बन्ध कैसे हैं?

उत्तर: मेरे हिन्दुओंके साथ और सरदार साहबके साथ भी दोस्ताना ताल्लुकात रहे हैं।

प्रश्न: क्या आपका यह कर्त्तव्य नहीं था कि आप सरदार साहबसे पूछताछ करते?

उत्तर: हालत ऐसी थी कि मैं उनके पास नहीं पहुँच सका। मैं न तो अपनी राय ही कायम कर सका और न पूछताछ ही कर सका।

प्रश्न: जब हिन्दुओंसे आपके सम्बन्ध अच्छे थे तब क्या आपने यह बात सोची है कि मैंने जिन हिन्दुओंसे भेंट की है, वे सभी इन सारे फसादोंकी जड़ आपको ही क्यों समझते हैं?

उत्तर: मैं खुद इस रहस्यको नहीं समझ सका हूँ कि उन्होंने मेरे बारेमें ऐसी राय कैसे बनाई है। कुछ ऐसे लोग हैं जिनके पास मैं गया था और जिनकी मैंने रक्षाका प्रबन्ध किया था और अमन कायम करने की कोशिश की थी। तब भी मैं इसका कारण नहीं समझ सका था और अब भी नहीं समझ सकता हूँ कि यह दोष मुझपर क्यों मढ़ा जा रहा है।

प्रश्न: क्या आपने उनकी औरतोंका बचाव किया था?

उत्तर: बहुत-सी हिन्दू औरतें एक अहातेमें आ गई थीं। उनमें एक भिखारिन भी थी। मैंने उनके लिए परदेका बन्दोबस्त किया था। मर्द हुजरा पहुँचा दिये गये थे और औरतें कुछ मर्दोके साथ एक बड़े मकानमें भेज दी गई थीं। यह सब-कुछ १० सितम्बरको ३ बजे हुआ था। मेरे मुहल्लेके मुसलमानोंने उन हिन्दुओंसे प्रमाणपत्र ले लिये हैं जिनकी उन्होंने रक्षा की थी। मैंने तो यह भी नहीं किया।

प्रश्न: क्या आप उन हिन्दुओंको जिनकी आपने मदद की थी, पहचान सकते हैं?

उत्तर: मैंने बहुतसे लोगोंकी, जिनमें औरतें भी शामिल थीं, मदद की थी, मैं लाला रामजीमलको पहचानता हूँ। एक लड्ढाराम हैं और थानके पीर साहब