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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रश्न: ९ तारीखकी घटना पूर्व नियोजित थी या अचानक हो गई थी?

उत्तर: मुसलमानोंने कोई ऐसी योजना नहीं बनाई थी। कमसे-कम मुझे उसकी कोई सूचना नहीं थी।

प्रश्न: क्या आप यह जानते हैं कि खिलाफतके किसी कार्यकर्त्ता या स्वयंसेवकने हिन्दुओंके घरोंको लूटने या जलानेमें हिस्सा लिया था?

उत्तर: नहीं।

प्रश्न: क्या उन्होंने किसी बाजारको जलानेमें या लूटनेमें अथवा लोगोंको उत्तेजना देनेमें भाग लिया था?

उत्तर: नहीं, मेरा खयाल ऐसा नहीं है।

प्रश्न: कोहाटमें स्वयंसेवक कितने हैं?

उत्तर: आजकल कोहाटमें १४ या १५ स्वयंसेवक हैं।

प्रश्न: क्या उनमें से किसीने इसमें भाग लिया था?

उत्तर: मेरे कानों में यह बात आई तो थी, लेकिन मैं नहीं कह सकता कि उन्होंने वैसा किया है।

प्रश्न: जब खिलाफतने असह्योगका एलान किया था तब आपने असहयोग किया था। फिर आपने सहयोग कब शुरू किया?

उत्तर: मैंने अपने स्वयंसेवकोंके साथ सिर्फ उन्हीं कार्योमें हिस्सा लिया जिनमें सरकार हिस्सा लेती थी ताकि लोग मुसीबतमें न पड़ें।

प्रश्न: क्या आप इससे पहले डिप्टी कमिश्नरके पास गये थे और आपने सहायता माँगी थी?

उत्तर: एक साल पहले जब मैं अंजुमन में शामिल हुआ था तब मुझे अंजुमनके स्कूलके लिये डिप्टी कमिश्नरके पास जाना पड़ा था। जबसे खिलाफत शुरू हुई तबसे इसके सिवा मैं कभी डिप्टी कमिश्नरके पास नहीं गया हूँ।

प्रश्न: फिर ऐसी कौन-सी मुसीबतें आई जिनसे आपको अपना सिद्धान्त छोड़ना पड़ा?

उत्तर: लोग कार्यकर्ताओंपर शक कर रहे थे कि वे किसीकी बात नहीं सुनते। वे सिर्फ मुझपर विश्वास करते थे। अगर इस वक्त में मैदानसे हट गया होता तो इस तरहके लोग मैदान में आते और तब और भी ज्यादा मुसीबतें आतीं।

प्रश्न: आप सरकारी अधिकारियोंसे कबसे मिलने-जुलने लगे?

उत्तर: मैं उनसे पुस्तिकाके मामलेके वक्तसे मिलने-जुलने लगा था और मैंने ऐसा किसी संस्थाकी ओरसे नहीं किया था। मैं जबसे खिलाफत आन्दोलनमें शामिल हुआ, मैंने तभीसे सहयोग छोड़ दिया था।

प्रश्न: क्या आपने अपनी तसल्लीके लिए यह पूछताछ की थी कि गोलीसे सबसे पहले मुसलमान लड़का मरा है?

उत्तर: हाँ, गोलीकी बात सुनकर ही मैं बाजार गया था।