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तार: मदनमोहन मालवीयको

प्रश्न: अगर ऐसी घटना नहीं होती तो फसाद भी नहीं होते। क्या आप ऐसा विश्वास करते हैं?

उत्तर: निश्चय ही न होते।

प्रश्न: (मौलाना शौकत अली द्वारा) क्या स्वयंसेवकोंने लूटमें भाग लिया था?

उत्तर: मैं ऐसा कसम खाकर नहीं कह सकता कि किसी भी स्वयंसेवकने इसमें भाग नहीं लिया था।

प्रश्न: क्या आपने इस बारेमें कुछ सुना है?

उत्तर: मैंने इस बारेमें बहुत-कुछ सुना है। मैं नहीं समझता कि किसी मुसलमानने लूटमारमें हिस्सा लिया है।

प्रश्न: क्या खिलाफतके लोगोंने दूकानोंको लूटने और जलानेमें तथा हिन्दुओंको सतानेमें हिस्सा लिया था?

उत्तर: मैं इसके बारेमें कसम नहीं खा सकता। मैंने शिकायतें सुनी हैं कि मुसलमानोंने इनमें हिस्सा लिया है।

(पीर साहबने कहा है कि कोई भी मुसलमान इससे अलग नहीं था। खिलाफती स्वयंसेवक भी इसमें शामिल थे।)

प्रश्न: क्या आपने सुना था कि खिलाफती स्वयंसेवकोंने भी लूटमारमें भाग लिया है?

उत्तर: हाँ, मैंने सुना था।

प्रश्न: क्या खिलाफती स्वयंसेवक, लूटके लिए बाहरी लोगोंको बुलानेके लिए बाहर भेजे गये थे?

उत्तर: मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।

रातको ८.३० बजे समाप्त

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०५३१) से।

४०. तार: मदनमोहन मालवीयको [१]

७ फरवरी, १९२५

पंडित मालवीयजी
बिड़ला हाउस
दिल्ली

भटिण्डा मेलसे कल सुबह दिल्ली पहुँच रहा हूँ।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

 
  1. यही तार उसी दिन मोतीलाल नेहरू और अलीगढ़के ख्वाजा अब्दुल मजीदको भी भेजा गया था।