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४१. काठियावाड़ियोंसे

मैं कुछ ही दिनोंमें काठियावाड़ फिर जाऊँगा, और इस बार राजकोट जाऊँगा। भाई भरूचापर तो काठियावाड़का ऐसा प्रभाव पड़ा है कि उन्होंने वहाँ अधिक समय तक टिकने और खादी तथा चरखेका प्रचार करनेकी अनुमति माँगी है। हम लोग आरम्भ-शूर होते हैं, आशा है यह आरोप इस मामले में तो सत्य सिद्ध नहीं होगा। राजकोटके राजनीतिक कार्यकर्त्ता निश्चय करें तो वे राजकोटमें और काठियावाड़के अन्य भागोंमें भी नवजीवनका संचार कर सकते हैं। "अन्य भागोंमें" इसलिए कि राजकोट केन्द्र है और एजेन्सीका सदर मुकाम होनेसे वहाँ सभी राजनीतिक कार्यकर्ता भी इकट्ठे होते रहते हैं। राजनीतिक कार्यकर्ताओंको समयकी तंगी रहती है, ऐसा तो कोई नहीं कह सकता। फिर उनका जन-साधारणपर प्रभाव भी है ही। वे काठियावाड़को खादीमय बनाकर उसे पुनः शक्ति दे सकते हैं और जो लोग काठियावाड़में से कुछ सेर बाजरेकी खातिर अन्यत्र जाते हैं उनको वहीं रोक रख सकते हैं। चरखेसे एक व्यक्ति कितना कमा सकता है, ऐसा प्रश्न करनेसे ठीक उत्तर नहीं मिल सकता। किन्तु इससे काठियावाड़की सामान्य जनतामें कितना धन रह जायेगा, यह हिसाब लगानेसे प्रश्नका उत्तर अवश्य समाधानकारक मिलेगा। नमकके करमें रुपयेमें एक पाई बढ़नेसे प्रत्येक मनुष्यको कितना बोझ उठाना पड़ता है, यह सोचें तो हम परेशान नहीं होते; किन्तु उससे कितने अधिक करकी वसूली हो जाती है, यह जानकर हैरानी होती है। इस प्रकारको हानि "रांपीके घाव [१]" के समान होती है। जन-समूहपर उसका सामूहिक प्रभाव होता है। इस आधारपर हिसाब लगानेसे मालूम हो सकता है कि उसका प्रत्येक मनुष्यपर क्या प्रभाव होता है।

चरखेके सम्बन्धमें भी यही बात है। मान लें कि सूत कातनेसे प्रत्येक मनुष्यके घरमें प्रतिदिन आधा आना आता है। इस हिसाबसे उसके घरमें वर्षमें बारह रुपये आयेंगे। यदि हम प्रत्येक घरमें पाँच मनुष्य मानें तो २६,००,०००÷५ = ५२,००,०० घर x १२ रु० = ६२,४०,००० रुपये काठियावाड़में वर्षभरमें बचेंगे। अब दूसरी तरहसे हिसाब लगायें। यदि छब्बीस लाखकी आबादीमें प्रति मनुष्य औसतन पाँच रुपयेका कपड़ा लिया जाता हो तो इस हिसाबसे काठियावाड़में १,३०,००,००० रुपयेका कपड़ा काममें आता है। यदि हम इसमें से रुईके मूल्यके रूपमें तिहाई रकम कम कर दें तो काठियावाड़ ९०,००,००० रुपये बचायेगा।

मान लें कि काठियावाड़के लोगोंको बम्बई सरकारको प्रति वर्ष नब्बे लाख रुपये करके रूपमें देने पड़ते हों और उसका यह कर माफ कर दिया जाये तो उससे काठियावाड़के लोगोंमें कितनी चेतनता आ जायेगी। यदि हम प्रति व्यक्ति हिसाब

 
  1. चमार इस औजारसे चमड़े में छेद करके जब उसे हटाता है तो छेद फिर मुँद-सा जाता है। मगर वह वास्तवमें मुँदता नहीं है।