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४७. पत्र: चमनलाल वैष्णवको
माघ बदी १ [९ फरवरी, १९२५][१]
भाई चमनलाल,[२]
मैं यह पत्र गाड़ीमें लिख रहा हूँ। तुम्हारा कार्ड मिल गया है। वहाँ १६ तारीखसे पहले आना नामुमकिन है। मुझे लगता है कि मैं २० या २१ तारीखके आसपास आ सकूँगा; या फिर आनेका कार्यक्रम ही रद कर दिया जाये।
मोहनदासके वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० २८६९) से।
सौजन्य: शारदाबहन शाह
४८. पत्र: देवचन्द पारेखको
माघ बदी १ [९ फरवरी, १९२५][३]
भाई देवचन्दभाई,
यह पत्र गाड़ीमें लिख रहा हूँ। तार भेजनेका खर्च बचा रहा हूँ। तुम्हारा पत्र मिल गया है। वांकानेर १४ तारीखको पहुँचना सम्भव नहीं है। सब वक्त बोरसदमें लग जायेगा। किन्तु यदि सब राजकोट आ जायें तो १५ तारीखको एक घंटा वांकानेरको दिया जा सकता है।
मोहनदासके वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (जी० एन० ५७१२) की फोटो-नकलसे।