पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

४९. तार: वाइसरायके निजी सचिवको

९ फरवरी, १९२५ [१]

वाइसरायके निजी सचिव
दिल्ली

क्या अब महामहिम मुझे और मेरे साथियोंको शुरू मार्च में कोहाट जानेकी अनुमति देना सम्भव मानते हैं? [२]

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) तथा यंग इंडिया, २६-२-१९२५ से।

५०. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको

[१० फरवरी, १९२५ से पूर्व][३]

ऐसा आरोप आया है कि आप व्यभिचारी हैं। मैं जब भावनगरमें था यह बात मैंने तब भी सुनी थी, किन्तु मैंने उसपर विश्वास नहीं किया था। अब जिस मनुष्यने [४] यह लिखा है मैं उसकी बात सहज ही दरगुजर नहीं कर सकता। क्या आप व्यभिचारी हैं? मुझे आपकी सरलता और आपके साहसको देखकर बहुत हर्ष हुआ था। किन्तु यह सच हो तो?

[गुजरातीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

 
  1. २६-२-१९२५ के यंग इंडियामें तारकी तारीख १० फरवरी दी गई है। सम्भव है कि इसका मसविदा ९ तारीखको तैयार किया गया हो।
  2. १३ फरवरीको वाइसरायके निजी सचिवने इसका उत्तर दिया। जिसका आशय था कि कोहाटके हिन्दुओंको गांधीजीने अभी हालमें यंग इंडियाके जरिये यह सलाह दी है कि वे तबतक कोहाट वापस न जायें जबतक कि वहाँ के मुसलमान सरकारी हस्तक्षेपके बिना उनके साथ सम्मानपूर्ण ढंगसे सुलह न करें। इसे देखते हुए लगता है कि उनके वहाँ जानेसे हालका समझौता भंग हो सकता है। जब कि वाइसराय उसे कायम रखनेके लिए प्रयत्नशील है। इसलिए उनकी इच्छा पूरी करना महामहिमको असम्भव लगता है।
  3. इसका निम्न उत्तर १० फरवरी, १९२५ को मिला था: "मुझसे बालपनमें कुछ दोष हो गये थे; किन्तु उसके बाद सत्ताके मदमें, कुछ दोष किया हो, ऐसा याद नहीं आता। आपने लिखा है कि आप मेरे पत्रको फाड़ देंगे। किन्तु आप उसे क्यों फाड़ें? मेरे पत्रोंको तो मेरे कर्मचारी और सचिव खोलते हैं। और मैं यह पत्र तो बटुकको बोलकर लिखा रहा हूँ और इसे श्रीमती पट्टणीने भी पढ़ लिया है।"
  4. फूलचन्द शाह। देखिए "पत्र: फूलचन्द शाहको", २२-१-१९२५।