पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एक शालाको चलानेके लिए भी बहुत शक्तिकी जरूरत होती है। जैसा पिण्डमें, वैसा ही ब्रह्माण्डमें, यह उक्ति सर्वत्र ही सत्य है। यदि मुझे सत्याग्रह आश्रमको चलाना ठीक तरहसे आता हो तो मैं लॉर्ड रीडिंगकी गद्दी भी सहज ही सम्भाल सकता हूँ। मुझे सत्याग्रह आश्रमको चलाने में जो कठिनाइयाँ होती हैं, उसके लिए मुझे जितना सोचना पड़ता है और जितनी समस्याओंको सुलझाना पड़ता है, उतना तो हमें लड़ाईको चलानेमें भी नहीं करना पड़ता। लड़ाईको चलानेमें करना ही क्या पड़ता है? मैं एक निश्चित कार्यक्रम बनाकर आपसे कहता हूँ कि यह कार्य करो। मैं इसमें केवल अपनी जीभ हिला देता हूँ। किन्तु आश्रमको चलाना तो इससे बहुत अधिक कठिन काम है। मुझे इस जन्ममें वाइसराय बननेकी इच्छा नहीं है; इच्छा है तो केवल हिन्दुस्तानका सच्चा और शुद्ध सेवक बननेकी है। किन्तु मैं इतना सहज कहना चाहता हूँ कि वाइसरायका काम करते हुए जितना श्रम करना पड़ता है, उससे अधिक आश्रमको चलानेमें करना पड़ता है। मैं चाहता हूँ कि आप भी इस विनय-मन्दिरको चलाने में जी-जानसे जुट जायें। यह काम आप जितनी निष्ठासे करेंगे, आपकी आत्मा उतनी ही अधिक शुद्ध बनती चली जायेगी।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १५-२-१९२५

५९. भाषण: भादरनमें[१]

११ फरवरी, १९२५

आपने जो प्रेम दिखाया और अभिनन्दन-पत्र दिया उसके लिए आभार प्रकट करनेके पहले मैं एक प्रार्थना करना चाहता हूँ। आप जो इतनी रात गये इतनी ज्यादा तादादमें यहाँ एकत्र हुए हैं यह देखकर मुझे बहुत आनन्द होता है; यदि मैं यह बात न कहूँ तो मानो आपके प्रति अपराध ही होगा। परन्तु साथ ही मुझे दुःख भी हुआ है। इस सभाके व्यवस्थापकोंने जो व्यवस्था की है वह जानबूझकर की है या अनजानमें, सो मैं नहीं जानता। पर अबतक सभाओंमें जानेवाले लोग मेरी खासियतें जान गये हैं। इसमें एक यह है कि यदि किसी भी जलसे में मैं अन्त्यजोंके लिए अलग विभाग देखू तो मुझे भारी चोट पहुँचती है और कुछ भी बोलना मेरे लिए असम्भव हो जाता है। आपने कहा है और दूसरे लोग भी कहते हैं कि अहिंसा मेरे जीवनका परम सूत्र है। अहिंसाको मैं अपने जीवनमें गूँथ रहा हूँ। यदि यह बात सच हो तो मुझसे यह नहीं हो सकता कि मैं आपके दिलकी चोट पहुँचाना चाहता हूँ। मैं यह भी नहीं चाहता कि आप बिना सोचे-समझे कुछ करें। रोषमें भी मैं आपसे कुछ नहीं कराना चाहता। मैं जो-कुछ आपसे करा सकता हूँ, वह आपके बुद्धि और हृदयको द्रवित करके ही। अतएव मेरी प्रार्थना है कि यदि आप

 
  1. गुजरातके खेड़ा जिलेका एक गाँव।