पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१६२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

६०. एक डायरीके पृष्ठ [१]

कुमारी ऐंगस और कुमारी हिंडस्लेको अड्यारसे डाक्टर बेसेंटने पिंजाई, कताई आदि सीखनेके लिए आश्रममें भेजा था जिससे वे अड्यार लौटकर दूसरे लोगोंको उनकी शिक्षा दे सकें। वे आश्रममें एक महीना रहीं और उन्होंने अपने दैनिक अनुभव अपनी डायरीमें लिखे। जब वे वापस जाने लगी तो वे 'यंग इंडिया' में प्रकाशनकी दृष्टिसे अपनी-अपनी डायरीके सम्बन्धित अंश दे गईं। उन्हें पहली बार पढ़नेपर मैंने सोचा कि उन्हें न छापना ही ठीक होगा, क्योंकि वे मुझे बहुत अधिक व्यक्तिगत जान पड़े। सोचनेपर यह खयाल आया कि उनमें जहाँ-जहाँ व्यक्तिगत बातें हैं उन्हें काट दिया जाये और तब टिप्पणियाँ प्रकाशित कर दी जायें। लेकिन उन्हें फिर पढ़नेपर मैंने यही निश्चय किया है कि वे टिप्पणियाँ बिना किसी फेरफारके ही दे दी जायें। मैं अबतक व्यक्तिगत बातोंके उल्लेखका भार सहता रहा हूँ। इतना अतिरिक्त भार बहुत अच्छी तरह सह सकता हूँ। इन टिप्पणियोंमें एक विशेष गुण है, जिसके कारण मैं उन्हें प्रकाशित करनेके लिए विवश हूँ। उनमें आश्रमका जो वर्णन है वह पूराका-पूरा सत्य नहीं है। इन मित्रोंको यहाँकी बातें जितनी सुन्दर लगी हैं वे उतनी सुन्दर नहीं है। आश्रममें विसंगतियाँ हैं, उसके कष्ट और कठिनाइयाँ हैं, उसकी बहुत-सी बाधाओंको दूर करना है। लेकिन आश्रममें उसके नामके अनुरूप जीवन बितानेका प्रयत्न किया जाता है। आश्रममें निश्चय ही कुछ बातें हैं जिनका अनुकरण बिना कोई जोखिम उठाये किया जा सकता है। किन्तु मुझे पाठकोंको यह चेतावनी दे देनी चाहिए कि वे इस सुखद वर्णनकी कुछ बातोंसे भ्रमित होकर आश्रममें प्रवेशकी प्रार्थना न करें। व्यवस्थापकने मुझे यह स्थायी सूचना दे रखी है कि वे जितने सदस्योंकी देखभाल कर सकते हैं, आश्रममें उनसे ज्यादा सदस्य हैं और उन्हें अपने सामर्थ्य से अधिक काम करना पड़ता है। कुमारी ऐंगस और हिंडस्लेने जिस जीवन पद्धतिका वर्णन किया है, उसे पसन्द करनेवाले लोग जहाँ भी रहते हों, वहीं उसका अनुकरण करें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १२-२-१९२५
 
  1. यह डायरी यंग इंडियाके १२ फरवरीसे ५ मार्चके अंकोंमें प्रकाशित हुई है। यहाँ केवल गांधीजीकी प्रस्तावनाका अनुवाद दिया जा रहा है।