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भाषण: राजकोटमें

माँगता हूँ कि आप पता लगायें कि पाठशालाओंमें अन्त्यजोंके लिए स्थान है या नहीं। यदि हो तो उनमें अन्त्यजोंका प्रवेश कराइए और यदि ऐसा करनेसे दूसरे विद्यार्थी चले जायें तो उन्हें खाली रहने दीजिए।

यहाँ मैंने बालचरोंको देखा। मेरे मनमें यह खयाल आया कि उनकी वर्दी भी खादीकी नहीं है। इनको खादीकी वर्दी मिले तो मेरे अन्त्यज भाइयोंका कुछ काम चले, काठियावाड़की असंख्य गरीब स्त्रियोंको भी कुछ मिले। एक गरीब बहनने मुझसे कहा, हम चरखा चलाती हैं। मगर आपके लोग चरखा उठा ले गये। मैं सुनकर हैरान हो गया। मेरे लोग चरखा उठा ले जायें तो पृथ्वी रसातलको नहीं चली जायेगी! मैंने उससे कहा कि मेरे लोग चरखा चलवाते-चलवाते थक गय होंगे; इसलिए उठवा ले गये होंगे। आपने मेरा बहुत सम्मान किया। मैं तो यही भिक्षा माँग रह हूँ कि आप मेरे बताये हुए अचूक उपायको अपनायें। आप मुझे खादी दीजिए। आप सब लोग खादी पहनें, प्रजा प्रतिनिधि मण्डलमें खादीके सम्बन्धमें प्रस्ताव कराइए। आपने तो मुझे सुवर्णजटित अभिनन्दनपत्र दिया। इसके लिए मैं तिजोरी कहाँसे लाऊँ? और यदि तिजोरी माँगूँ तो उसके लिए स्थान भी माँगना पड़े, और फिर रक्षक कहाँसे लाऊँ? मेरा रक्षक तो राम है। मैं ऐसे अभिनन्दनपत्रोंको लेता हूँ क्योंकि उन्हें सँभालनेवाले जमनालाल बजाज-जैसे धनवान् पुरुष हैं, जो कि मेरे पुत्र बनकर बैठे हैं। मेरे यहाँ तो केवल खादीको स्थान है। और मैं सभीसे खादी माँगूँगा। मैंने तो लॉर्ड रीडिंगसे भी कहा कि मैं चाहता हूँ कि आप और आपके दरबान खादी-भूषित हों। यही शब्द मैं आपसे और आपकी प्रजाके प्रतिनिधियोंसे कहता हूँ। और इस कारण मुझे यह बात खटकती है कि आपने अभिनन्दनपत्रमें मेरे इन दो मुख्य कार्योंका उल्लेख नहीं किया। मुझे तो राजमण्डलीके साथ कानपुर और धरमपुर जाना है। ठाकुर साहबकी सच्ची शादी तो प्रजाके साथ होगी। और उस शादीके लिए मेरी माँग है--खादी और अन्त्यजोंका उद्धार। प्रजा तो कुमारिका है। उसका कुँवारापन यदि दूर करना चाहते हो तो उससे विवाह कीजिए, उसे सुखी बनाइए, उसकी देखभाल कीजिए, रातों जागकर, घूमकर उसके कष्टों और दु:ख-दर्दोको जानिए। रामने धोबीकी उड़ती हुई बातसुन कर सीताजीको छोड़ दिया। आप भी प्रजामतको जानकर उसके अनुसार चलनेका यत्न कीजिए। राजाकी तलवार संहारका चिह्न नहीं है। यह तो इस बातका साक्षी-रूप है कि राजाका धर्म है तलवारकी धारपर चलना। खांडा हमेशा याद दिलाता है कि खांडेकी धारपर चलिए, सीधे रास्ते जाइए। टेढ़े रास्ते न जाइए। इसका अर्थ है कि राजकोटमें एक भी आदमी व्यभिचारी न हो, एक भी शख्स शराब पीनेवाला न हो, मदमत्त न हो, हरएक स्त्री सीताका स्थान लेनेवाली हो।

मुझे अपने पिताजीका स्मरण आ रहा है। मेरे पिताजीमें ऐब थे, पर गुण भी बड़े-बड़े थे। भूतपूर्व ठाकुर साहबमें भी ऐब थे, गुण भी थे। उनके तमाम गुण आपमें आयें। ऐबोंको कोशिश करके दूर करना आपका धर्म है। दुर्बलताकी जगह सबलता, कलुषताकी जगह पवित्रताको स्थान दिलाना आपका धर्म है। इसलिए गरीबोंपर दया रखें। उन्हें खिलाकर खायें। आपकी तलवार आपके अपने गलेके लिए है। प्रजासे आप कहिए कि यदि मैं अधिकारकी मर्यादासे च्युत होऊँ तो यह तलवार मेरी