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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भी शामिल किये जाने चाहिए। परीक्षकोंके नामोंका चुनाव मैने किया था और मुझे स्वीकार करना चाहिए कि मैंने मिल-मालिकोंका नाम जानबूझ कर छोड़ा था। मैंने यह अनुभव किया था कि परीक्षक इस विषयपर न्याय कर सकें इसके लिए आवश्यक है कि उनका खादीपर विश्वास हो, तथा जिनमें परीक्षक होनेकी योग्यताके साथ-साथ सीधी बात स्वीकार कर सकनेकी क्षमता भी हो। लेकिन मेरे संवाददाताने सुझाव दिया है कि श्री मगनलाल गांधी-जैसे विशेषज्ञ भी मिल-उद्योगके घनिष्ठ परिचयके अभावमें भूल कर सकते हैं। इस आपत्तिमें बल है। मैं उसे स्वीकार करता हूँ और इसलिए सम्बन्धित सज्जनसे प्रसन्नतापूर्वक स्वयं पत्र-व्यवहार करूँगा और निबन्धकी जाँचमें उनका सहयोग लेनेका प्रयत्न करूँगा।

बंगालके अछूत

बंगालसे एक सज्जन पत्र लिखकर पूछते हैं:

(१) बंगालमें अछूतोंको कुँओंसे पानी नहीं लेने देते और जिस जगह पोनका पानी रखा हो वहाँ उन्हें जाने भी नहीं देते। इस बुराईको दूर करने के लिए क्या करना चाहिए? यदि हम उनके लिए अलग कुएँ खुदवाएँ और अलग शालाएँ स्थापित करें तो इसका अर्थ इस बुराईको छूट देना होगा।

(२) बंगालके अछूतोंका झुकाव इस बातकी तरफ है कि ऊँची जातिवाले उनके हाथका पानी पीयें। लेकिन वे खुद अपनेसे नीची जातिवालोंके हाथका पानी लेनेसे इनकार करते हैं। उन्हें इस गलतीसे विरत करने के लिए क्या करना चाहिए?

(३) बंगालकी हिन्दू महासभा और आम तौरपर हिन्दू लोग यह कहते हैं कि आप अछूतोंके हाथका पानी पीनकी बात पसन्द नहीं करते।

मेरे उत्तर ये हैं:

(१) इस बुराईको दूर करनेका एक उपाय अछूतोंके हाथका पानी पीना है। मैं यह नहीं मानता कि उनके लिए अलग कुएँ खुदवानेसे यह बुराई स्थायी हो जायेगी। छुआछूतके प्रभावोंको निर्मूल करने में बहुत समय लगेगा। इस डरसे कि अछूतोंको अलग कुएँ बनवाकर मदद देनेके परिणामस्वरूप भविष्यमें भी उनके सार्वजनिक कुओंके उपयोग कर सकनेकी सम्भावना समाप्त हो जायेगी; इसे रोक रखना ठीक न होगा। मेरा विश्वास तो यह है कि उनके लिए यदि हम अच्छे कुएँ बनायेंगे तो और भी बहुतसे लोग उनका इस्तेमाल करेंगे। ऊँची जातिवाले हिन्दू उनके प्रति अपने कर्त्तव्यका खयाल करके उनके सम्बन्धमें अपने भ्रम दूर करते रहेंगे। इसके साथ ही अछुतोंमें भी सुधार होता रहना चाहिए।

(२) जब ऊँचे कहलानेवाले हिन्दू अछूतोंको छूना शुरू कर देंगे तब अछूतोंमें भी अछूतपन अपने-आप नष्ट हो जायेगा। हमारा कार्य अछूतोंमें भी, जो सबसे नीचे दर्जेके हैं, उन्हींसे शुरू होना चाहिए।