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भाषण: पोरबन्दरमें

जो मेरे विचारसे सरकारी हस्तक्षेप द्वारा लगभग असम्भव है, और भी ठीक कहें तो जनताके सहज प्रयत्न या हस्तक्षेपके बिना असम्भव है। मेरे और मेरे मित्रोंके हस्तक्षेपसे सरकार द्वारा किये जानेवाले प्रयत्नोंसे वास्तविक शान्ति स्थापित करने में सहायता ही मिलेगी। कृपया जवाब साबरमतीके पतेपर दीजिए।

गांधी

यंग इंडिया, २६-२-१९२५ तथा अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

८०. भाषण: पोरबन्दरमें

१९ फरवरी, १९२५

पोरबन्दरकी प्रजाकी तरफसे मुझे यह अभिनन्दन-पत्र दीवान साहबके हाथों दिलाया गया, इसके लिए मैं उनका कृतज्ञ हूँ। अभिनन्दन-पत्र चाँदी या संदलकी मंजूषामें रखकर देनेके बजाय उसके साथ आपने मुझे २०१) रुपयेका चेक देकर जिस विवेकका परिचय दिया है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। यदि पोरबन्दरके नागरिक ही मेरी अभिलाषाओंको न समझें और उन्हें पूरा न करें तो फिर इस पृथ्वीतलपर मैं किससे आशा रखूँगा? अनेक बार मैने कहा है कि चाँदी वगैरा रखनेके लिए मेरे पास जगह ही नहीं है। चाँदी आदि रखनेके साधन जुटाना एक उपाधि ही है। ऐसी वस्तुओंको त्याग करके ही मैं अपनी स्वतन्त्रताकी रक्षा कर पाया हूँ; और इसीलिए मैं हिन्दुस्तानसे कहता हूँ कि जिसे सत्याग्रहका पालन करना है, उसे निर्धन बननेके लिए और हर क्षण मृत्युसें भेंट करनेके लिए तैयार रहना चाहिए। चाँदीकी मंजूषा रखनेके लिए मेरे पास स्थान कहाँ? इसलिए उसके बजाय आपने मुझे जो चेक दिया, उससे मुझे आनन्द ही हुआ है।

लेकिन एक तरफ जहाँ मैं आपको धन्यवाद देता हूँ वहाँ दूसरी तरफ मुझे अपनी कृपणतापर दया आती है। मेरी भूख बहुत बड़ी है। इस कागजके टुकड़ेसे मेरा पेट नहीं भर सकता; २०१) मेरे लिए काफी नहीं हो सकते। मैं यह इसलिए कहता हूँ कि मैं आपको यह यकीन दिला सकता हूँ कि जितना भी आपसे लूँगा

१. वाइसरायके निजी सचिवने २२ फरवरीको धन्यवाद देते हुए इसका जवाब दिया था कि जो समझौता अभी इतने प्रयत्नोंके बाद हुआ है वह दोनों जातियोंके गैर-सरकारी लोगोंकी सहज रूपमें की गई सहायतासे ही सम्भव हो सका है। निस्सन्देह, उसका स्वरूप दोनों जातियोंके बीच आपसी समझौते-जैसा है और उसकी शर्तोंमें कोई भी रद्दोबदल करनेसे पूरा समझौता गड़बड़ा जायेगा। इसके अलावा, इसी समझौतेके आधारपर बहुत सोच-विचारके बाद ही महामहिमने मुकदमे वापस लेनेकी बात मानी है। इसलिए महामहिमको इस बातकी प्रसन्नता तो है कि आपकी अपनी इच्छा भी शान्ति स्थापित करनेकी है, पर उनको लगता है कि आपके प्रस्तावित दौरेका परिणाम यह होगा कि सारे मामलेपर फिर एक बार बहस खड़ी हो जायेगी...।