पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/१९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६७
भाषण: पोरबन्दरमें

लगें। इसका यह मतलब नहीं कि हम लोग अंग्रेजोंके पास दौड़कर चले जायें। दौड़ते तो वे ही हमारे पास आयेंगे। वे मुझसे कहते हैं कि तुम तो भले हो; लेकिन तुम्हारे साथी बदमाश हैं, वे फिर तुम्हें चौरी-चौरा-जैसा धोखा देंगे। लेकिन मैं तो मनुष्यस्वभावमें विश्वास रखता है। प्रत्येक मनष्यमें आत्मा है और प्रत्येक आत्माकी शक्ति मेरी आत्माके बराबर ही है। आप मेरी शक्तिको देख सकते हैं क्योंकि मैंने प्रार्थना करके, ढोल बजाकर और उसके समक्ष नाच कर अपनी आत्माको जाग्रत रखा है। आपकी आत्मा उतनी जाग्रत न हो लेकिन हम स्वभावमें तो एकसे ही हैं। राजाप्रजा, हिन्दू-मुसलमान लड़ते रहते है लेकिन यदि इन सबको ईश्वरकी मदद न हो तो उनसे एक तृण भी इधरसे-उधर नहीं हो सकेगा। प्रजा यदि यह माने कि हम बलवान् होकर राजाको सतायेंगे और राजा माने कि मैं बलवान् होकर प्रजाको पीस डालूँगा; हिन्दू यदि मानें कि सात करोड़ मुसलमानोंको पीस डालना मुश्किल नहीं है और मुसलमान मानें कि बाइस करोड़ शाक-सब्जी खानेवाले हिन्दुओंको हम पीस डालेंगे तो राजा-प्रजा, हिन्दू-मुसलमान--ये सभी मूर्ख हैं। यह खुदाका कलाम है, 'वेद' का वाक्य है, 'बाइबिल' का लेख है कि मनुष्यमात्र एक-दूसरेका बन्धुहै। हरएक धर्म पुकार-पुकार कर कहता है कि प्रेमकी ग्रन्थिसे ही जगत् बँधा हुआ है। विद्वान् लोग यह सिखाते हैं कि यदि प्रेमका बन्धन न हो तो पृथ्वीका एक-एक परमाणु छिटक जाये और पानीका बिन्दु-बिन्दु अलग हो जाये। इसी प्रकार यदि मनुष्य-मनुष्यके बीच प्रेम न होगा तो हम मृतप्राय ही हो जायेंगे। यदि हम स्वराज्य चाहते हों, रामराज्य चाहते हों तो हम सबको प्रेमकी ग्रन्थिसे बँध जाना चाहिए। यह प्रेमकी ग्रन्थि क्या है? हाथसे कते हुए सूतकी ग्रन्थि। सूत परदेशी होगा तो वह लोहेकी बेड़ी बन जायेगा। आपकी एकसूत्रता तो देहातोंके साथ, ग्वालोंके साथ, बरडाके मेरोंके साथ होनी चाहिए। उसके बजाय यदि आपकी एकसूत्रता लंकाशायर अथवा अहमदाबादके साथ हो तो उससे पोरबन्दरका क्या लाभ होगा? प्रजाकी सच्ची माँग तो यह है कि हमारी मेहनतका उपयोग करो, हमें निठल्ला रखकर भूखों न मारो। राणावावके पत्थरोंके बजाय आप इटलीसे पत्थर मँगायें तो काम कैसे चलेगा? यदि आप अपने ही देहातोंमें बने मिट्टीके रामपात्र और अपनी गाय और भैसोंका घी छोड़कर ये चीजें कलकत्तसे मँगायें तो कैसे निबाह होगा? यदि आप अपनी ही चीजोंका उपयोग नहीं करेंगे और उन्हें दूसरी जगहोंसे मँगायेंगे तो मैं कहूँगा कि आप बेड़ियोंसे जकड़े हुए हैं। जबसे मुझे यह शुद्ध स्वदेशीका मन्त्र उपलब्ध हुआ है, जबसे मैं यह समझा हूँ कि गरीबसे भी गरीबके साथ मेरी एकसूत्रता होनी चाहिए, तभीसे मैं मुक्त हो गया हूँ और मुझसे मेरा आनन्द छीन सकनमें न राजा साहब शक्तिमान है, न लॉर्ड रीडिंग और न सम्राट् जॉर्ज।

बहनोंसे मैं यह कहूँगा कि आपके दर्शनोंसे मैं तभी पावन होऊँगा जबकि आप खादीसे विभूषित होंगी और चरखा चलाने लगेंगी। आप मन्दिरोंमें जाकर धर्मकी रक्षा करना चाहती हैं। लेकिन जो बहन कातती है उसका हृदय ही मन्दिर बन जाता है। इसीलिए मैं आपसे पूछता हूँ कि जब मैं हिमालयके चमत्कारोंकी बातें करूँगा