पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/२११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

८९. भेंट: एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाके प्रतिनिधिसे

अहमदाबाद

२२ फरवरी, १९२५

श्री गांधी काठियावाड़में राजकोट, पोरबन्दर, वाँकानेर और बढवानका दौरा करके आज सुबह सत्याग्रह आश्रम लौटे। लौटते हुए उन्होंने गनोद गरासिया केन्द्र भी देखा। वे इन सभी राज्योंके राजाओंसे मिले थे और उन्होंने प्रजाके हितका जो आग्रह उनमें देखा वे उससे बहुत ही प्रभावित हुए। इन स्थानोंके जिन लोगोंसे वे मिले उनसे इन सभी राज्योंके राजाओंकी बड़ी प्रशंसा की। श्री गांधीका कहना है कि राजकोटके राजा ठाकुर साहबने प्रातिनिधिक विधानसभाको स्थापनाके साथ जो प्रयोग शुरू किया है, वह बहुत ही दिलचस्प है, हालाँकि उसके बारेमें कोई निश्चित राय अभी कुछ समय बाद ही दी जा सकती है। फिर भी जितना वे जान पाये हैं उससे उन्हें सफलताको आशा है।

श्री गांधीने कहा:

यह समयके परिवर्तनका ही लक्षण है कि इन सब जगहोंमें मैंने जनतामें पूर्ण मद्यनिषेधकी इच्छा बड़ी बलवती पाई। राजकोटमें यह इच्छा बहुत ही तीव्र है, क्योंकि वहाँ शराबके सरकारी ठेकों और गैर-सरकारी ठेकोंके बीच एक बड़ी ही अशोभनीय और दुषित किस्मकी होड़ लगी हुई है। इसके परिणामस्वरूप कीमतें काफी गिर गई हैं, और निचले वर्गोके लोग अब पहलेसे कहीं अधिक शराब पीने लगे हैं। इन वर्गोके मर्द रोज ही शराब पीकर घर लौटते हैं। उनकी स्त्रियाँ बड़े दुःखी मनसे परिवारोंके तबाह होनेकी शिकायत करती हैं। लोग ठाकुर साहबसे शराबकी दुकानें बिलकुल बन्द करा देनेका आग्रह कर रहे हैं। व्यक्तिगत स्वतन्त्रताकी बात लेकर वे ऐसा करने में हिचक रहे हैं। उनकी राय है कि शराबबन्दी लोगोंको समझा-बुझा कर ही की जानी चाहिए। राज्यको विधान परिषदने सर्वसम्मतिसे एक प्रस्ताव पास किया है जिसमें दरबारसे सभी लाइसेंस शुदा शराबकी दुकानें बन्द कर देनेका अनुरोध किया गया है। और यह भी कि यदि जरूरत ही पड़े तो औषधिके काम आनेवाली शराबके अलावा और सभी तरहकी शराब उतारनेपर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये। देखें ठाकुर साहब इस प्रस्तावसे कैसे निपटते हैं।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-२-१९२५