पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/२१३

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९३. तार: लाजपतरायको[१]

[साबरमती
२३ फरवरी, १९२५]

सदस्योंसे राय लिये बिना मैं बैठक [२] मुल्तवी नहीं कर सकता। बैठकके लोग जरूरी लगनेपर उसे मुल्तवी कर सकते हैं। उम्मीद है आप अब बिलकुल अच्छे हो गये हैं।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

९४. तार: आ० टे० गिडवानी

[२३ फरवरी, १९२५][३]

गिडवानी
हिन्दू कालेज
दिल्ली

बधाई। शनिवारको दिल्ली पहुँच रहा हूँ। हो सके तो आज रवाना हो जाइए या मेरे आनेतक रुकिए।

गांधी

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

 
  1. यह तार २३ फरवरी, १९२५ को मिले लाजपतरायके निम्नलिखित तारके जवाबमें था: "आयंगर, जयकर, जयरामदास तथा अन्य लोग २८ को शरीक नहीं हो सकते। मार्चके तीसरे सप्ताहसे पहले कोई तारीख अनुकूल नहीं पड़ती। कृपया मुल्तवी करनेकी व्यवस्था कीजिए और तार दीजिए।"
  2. देखिए "वक्तव्य: सर्वदलीय सम्मेलन उप-समितिकी बैठकके स्थगनपर", २-३-१९२५।
  3. गुजरात महाविद्यालय, अहमदाबादके प्राध्यापक, जैतो जानेवाले शहीदी जत्येके साथ जानेके कारण १९२४ में जेल गये थे। नाभाके अधिकारियोंने २२ फरवरीको उन्हें रिहा कर दिया था और वे हिन्दू कालेजके प्राध्यापकके पास रहे थे। देखिए "टिप्पणियाँ", २६-२-१९२५ के अन्तर्गत उपशीर्षक "आचार्य गिडवानी रिहा"।