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टिप्पणियाँ

न हो। सड़कपर जबरदस्ती जा पहुँचनेके प्रयत्नसे बाड़ें और भी मजबूत कर दी जायेंगी और यदि बल-प्रयोग सफल हो ही गया तो उसका अर्थ केवल यही होगा कि अस्पृश्य लोग केवल एक सार्वजनिक मार्गका उपयोग-भर कर सकेंगे, लोकमतको बदल नहीं सकेंगे।

किन्तु हिन्दू सुधारक तो उन रूढ़िवादी लोगोंके विचारको बदलना चाहते हैं जिन्होंने अस्पृश्यताको अपना धर्म मान लिया है। इस उद्देश्यको तो वे जैसे अब कष्ट सह रहे हैं, वैसे कष्ट सहकर ही प्राप्त कर सकेंगे। सत्याग्रह सफलताका छोटेसे-छोटा रास्ता है। जोर-जबरदस्तीके तरीकोंसे जितने भी सुधार हुए हैं वे एकाध बरस नहीं, बहुत बरसोंमें हो पाये हैं। यूरोपमें अज्ञानपर ज्ञानको विजय लम्बी अवधिमें और बड़ी यातनाएँ सह कर हुई थी; और यह निश्चय किसीको नहीं है कि उनकी यह सफलता स्थायी सफलता है अथवा नहीं। जिन लोगोंने विरोध किया और उसी विरोधमें मरे, उनके विचारमें परिवर्तन नहीं हुआ। जिन दूसरे लोगोंके विचारमें परिवर्तन हुआ वे उन लोगोंके कष्ट सहनसे आकर्षित हुए जो अपने विरोधियोंको मारते हुए स्वयं मृत्युको प्राप्त हुए थे। उस युगके प्रयत्नका विशुद्ध परिणाम यह हुआ है कि संसारका विश्वास हिंसाके तरीकोंमें बद्धमूल हो गया। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि वाइकोमके सत्याग्रही अपने मार्गसे विचलित न होंगे, भले ही उनकी संख्या कम रह जाये और उनके जीतनेकी आशा और भी धुंधली पड़ जाये। सत्याग्रहका अर्थ है अपने आपको पूरे तौरपर मिटा देना, अधिकतम अपमान सहन करना, अधिकतम धैर्य धारण करना और गहरी श्रद्धाको जागृत रखना। सत्याग्रह स्वयं अपना पुरस्कार है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २६-२-१९२५

१०७. टिप्पणियाँ

२८ फरवरी

सर्वदलीय सम्मेलन-समितिकी तरफसे नियुक्त उपसमितिकी बैठक दिल्लीमें २८ फरवरीको फिर होगी। जो कठिन काम उसके सुपुर्द किया गया है, ऐसा कठिन काम तो शायद ही किसी उपसमितिको करना पड़ा होगा। इस समितिने अपनेको दो हिस्सोंमें बाँट लिया है। एकको स्वराज्य योजनाका मसविदा और दूसरीको हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यकी योजना तैयार करनेका काम सौंपा गया है। स्वराज्य समितिकी प्रमुख डा० बेसेंट थीं और उन्होंने अपनी रिपोर्ट समितिके सामने विचारार्थ पेश भी कर दी है। समितिकी बैठक पहले मुल्तवी इसीलिए कर दी गई थी कि उस समय हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यके प्रश्नका समझौता नहीं हो सका था और उपस्थित सदस्य चाहते थे कि वे अनुपस्थित सदस्योंसे और जो लोग सदस्य तो नहीं हैं लेकिन इस कार्यमें मदद कर सकते हैं, उनसे मशविरा कर सकें। यह आशा की जाती है कि जो लोग आ सकते

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