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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं वे समितिकी इस बैठकमें जरूर ही आयेंगे। लाला लाजपतरायने मुझे तार दिया है कि इस बैठकको मार्चके तीसरे हफ्तेके बाद किसी भी तारीखतक मुल्तवी रखा जाये। कुछ सदस्योंने उन्हें खबर दी है कि वे उस बैठकमें हाजिर न रह सकेंगे। मैंने उन्हें खबर दी है कि समितिसे पूछे बिना मैं इस बैठकको मुल्तवी नहीं कर सकता। यदि जरूरी हुआ तो समिति ही स्वयं अपनी बैठकको मुल्तवी कर देगी। अबतक यह तो हरएकने सोच ही रखा होगा कि आगे क्या करना है। इस बैठकमें शायद इस प्रश्नपर अब कोई नई बात सामने नहीं रखी जायेगी। हमारे सामने केवल यह सवाल होगा कि दिल्लीकी आखिरी बैठकमें जो दो नितान्त विरोधी विचारधाराएँ उठ खड़ी हुई थीं, उनके बीचका कोई रास्ता निकल सकता है या नहीं। इससे एक दूसरा यह भी सवाल पैदा होता है कि दोनों दल इस प्रश्नका तत्व निपटारा करना चाहते हैं या नहीं? स्वराज्यकी योजना भी बड़ा महत्त्वशाली प्रश्न है। सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम सवालने ही सारी प्रगतिको रोक रखा है। मैं सोचता हूँ कि जो लोग आ सकते हैं, वे अवश्य ही आयेंगे और इस प्रश्नको हल करने में मदद करेंगे। लालाजीकी सूचनाके विपरीत यदि बैठक मल्तवी न की जाये और वहाँ इस प्रश्नका विचार करना ही पसन्द किया जाये तो मेरी सलाह है कि जो सदस्य हाजिर न हो सकें, वे अपनी राय समितिको लिख भेजें।

आचार्य गिडवानी रिहा

हमें सोमवारको प्रात: अम्बालासे निम्न तार मिला है, जिसे पढ़कर मुझे प्रसन्नता हुई है, और आशा है मेरी तरहसे पाठकोंको भी प्रसन्नता होगी:

गिडवानी कल सायंकाल सजा फिर स्थगित किये जानेके कारण रिहा कर दिये गये। इस बार प्रशासककी आज्ञामें तथ्य सही रूपमें दिये गये हैं। उनके भाई आलिम गिडवानीके हाथ, जो ८ तारीखको श्रीमती गिडवानीके लिए भेंटकी तारीख लेने गये थे, प्रशासकने एक सन्देशा भेजा था। प्रशासकके सन्देशमें कहा गया था कि यदि गिडवानी नाभाकी राजनीतिमें हस्तक्षेप न करें तो वे आज ही चले जा सकते हैं। गिडवानीने खबर भेजी है कि यदि इसका अर्थ निर्वासनकी आज्ञाका पालन करना है तो जब वे आय थे तब उनका उस आज्ञाका उल्लंघन करनेका कोई विचार नहीं था, और भविष्यमें भी नहीं होगा। श्रीमती गिडवानी ११ तारीखको यह खबर लाई कि प्रशासक श्री गिडवानीसे यही चाहते हैं। श्री गिडवानीने तुरन्त निम्न पत्र भेजा: "श्रीमती गिडवानीने मुझे बताया है कि आप मुझसे कोई ऐसा आश्वासन लेना चाहते हैं कि आपको जारी की हुई निर्वासन आज्ञाको न माननेका मेरा कोई इरादा नहीं है। मुझे आपको इस आश्वासनको देनमें कोई झिझक नहीं है। जब पिछले साल मैं अमृतसरसे रवाना हुआ था और मैंने आपसे जैतोमें प्रवेशको अनुमति

२. देखिए "तार: लाला लजपतरायको", २३-२-१९२५।