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११२. तार: आनन्दानन्दको

दिल्ली

२८ फरवरी, १९२५

स्वामी आनन्दानन्द
अहमदाबाद

२६ मार्चको आपको पूरा समय दे सकता हूँ। क्या इससे काम चलेगा? नहीं तो मैं मद्रास जानेसे पहले अहमदाबाद आनेको तैयार हूँ।

अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० २४५६) से।

११३. पत्र: डा० मैंकूवरको

२८ फरवरी, १९२५

आपके पत्रके लिए धन्यवाद। सत्याग्रह और अहिंसामें मेरा विश्वास पहले जैसा ही अटूट है। मैं अब भी असहयोग कर रहा हूँ और इसी प्रकार भारतके हजारों नर-नारी असहयोग कर रहे हैं। जो लोग हमसे सहमत नहीं हैं उनसे यह समझौता हुआ है कि एक राष्ट्रीय कार्यक्रमके रूपमें असहयोग-कार्य मुल्तवी कर दिया जाये। इससे जो लोग देशकी विधान-परिषदोंमें प्रवेशके इच्छुक हैं, वे वहाँ जानेको स्वतन्त्र हो जाते हैं।

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई