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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दस राष्ट्रीय शालाओं में से आज सिर्फ एक ही शाला मुश्किलसे चल रही है। करीब २०,००० करघे चल रहे हैं, लेकिन चन्द करघोंको छोड़ कर सब विदेशी सूतका इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे जिलेसे साल-दर-साल विदेशी धनपतियोंके द्वारा काफी मात्रामें कपास बाहर भेज दिया जाता है।

सिलहटका पिछला इतिहास निस्सन्देह बड़ा शानदार रहा है। लेकिन कोई भी राष्ट्र सिर्फ अपने भतकालपर ही जिन्दा नहीं रह सकता। गौरवशाली इतिहास वर्तमान-कालको प्रेरणा दे सकता है, उसे प्रेरणा देनी ही चाहिए; लेकिन भविष्यका निर्णय तो हमारे वर्तमान कार्यसे ही होगा। इसलिए सिलहट जिलेके लोगोंको जागना चाहिए और जहाँतक उनके जिलेका ताल्लुक है उन्हें रचनात्मक कार्यक्रमको सफल बनाना चाहिए। यह विचार बड़ा ही दुःखद है कि जेलकी सजाओंने देशभरमें लोगोंको निष्क्रिय बना दिया है। यदि हम कष्ट-सहनका रहस्य समझे होते, तो उससे हमारे अन्दर एक नया जोश आना चाहिए था, बजाय इसके कि हम निस्तेज पड़ जाते जैसा कि आम तौरपर हुआ है। उनके जिलेसे जो कपास बाहर जाता है उसे रोकना और अपने ही जिलेके कते हुए सूतसे कपड़ा बुननेके लिए जुलाहोंको राजी करना, यह सिलहटके लोगोंकी ताकतके बाहर नहीं होना चाहिए। तभी वे मुझे अपने जिलेके दौरेके लिए कहनेके हकदार होंगे, उससे पहले नहीं।

दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिबन्ध

दक्षिण आफ्रिकी विधानमें रंग-भेद सम्बन्धी प्रतिबन्धका क्षेत्र और अधिक विस्तारित करनेके प्रस्तावके बारेमें आखिरकार जनरल स्मट्सने अपने विचार व्यक्त कर ही दिये। पाठकोंको कुछ समय पहलेके उस तारका स्मरण होगा जिसमें कहा गया था कि संघ सरकार खानोंमें काम करनेवाले एशियाइयोंपर प्रतिबन्ध लगानेकी बात सोच रही है। समाचार है कि उस प्रस्तावित विधानके सम्बन्धमें उसके विरुद्ध बोलते हुए जनरल स्मट्सके वक्तव्यका विवरण इस प्रकार है:

संघ विधानसभामें रंग-भेद विधेयकका विरोध करते हुए जनरल स्मट्सने स्पष्ट कहा कि विधेयक सरकारको यह शक्ति प्रदान करना चाहता है कि वह खानों और निर्माण कार्योंमें कानूनके जरिये गोरों और वतनियों तथा एशियाई रंगदार लोगोंके लिए अलग-अलग काम निश्चित कर सके। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी गम्भीर चीज है। उनकी समझमें विधेयकके पीछे ईमानदारी नहीं है। वे निश्चित रूपसे यह मानते हैं कि गोरे लोगोंकी सभ्यताकी सुरक्षाकी केवल एक ही गारंटी हो सकती है और वह यह है कि इस देशमें रहनेवाले प्रत्येक मनुष्यके साथ ईमानदारीसे न्यायपूर्ण बर्ताव किया जाये। (हर्षध्वनि) एशियाइयोंपर पड़नेवाले विधेयकके प्रभावके बारेमें उन्होंने कहा श्री गांधीसे

१. जे० सी० स्मटस (१८७०-१९५०); दक्षिण आफ्रिकी राजनीतिज्ञ, प्रधान मन्त्री (१९१९-१९२४ और १९३९-१९४८)।