पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/२४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१७
टिप्पणियाँ---१

चलनेवाली वार्ताके दौरान श्री गांधीका यही अनुरोध था कि भारतीयोंको बे-इज्जत न किया जाये और श्री गांधीने बादमें लन्दनमें हुए सम्मेलनोंमें अपने इसी अनुरोधको बार-बार दोहराया है। श्री गांधीने कहा था, "हम मानते हैं कि हमारे और आपके बीच एक अन्तर है और दोनोंके बीच विभेद किया जाना चाहिए, परन्तु अपने देशके कानूनमें हमारे ऊपर कोई कलंक मत थोपिये।" --लेकिन इस विधेयकके जरिए सरकार ठीक वही कर रही है जो उससे न करने को कहा गया था। सरकार एकसे दूसरे छोरतक, समूचे एशिया महाद्वीपको घृणा मोल लेने जा रही है। उन्होंने अन्तमें कहा कि सरकारको इस प्रश्नपर गम्भीरतासे विचार करना चाहिए कि क्या उसे विधेयकके दूसरे वाचनको सभाको कार्य-सूचीसे निकाल नहीं देना चाहिए और क्या इस कठिनाईसे बाहर निकलनेका कोई दूसरा रास्ता नहीं हो सकता।

मेरे साथ जनरल स्मट्सकी जो बातचीत हुई थी उसका ठीक-ठीक सार उन्होंने दे दिया है। मेरा मुद्दा यह था कि जबतक मानव-स्वभाव बदलता नहीं है, आज जैसा है वैसा ही बना रहता है, और जबतक यूरोपीय और भारतीय संस्कृतियोंमें टकराव बना रहता है, तबतक कुछ प्रशासकीय भेदभाव तो रहेगा ही, पर उस भेदभावको कानूनी तौरपर मान्यता देना, देशके कानूनमें रंग-भेदके दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिबन्धोंको शामिल कर देना एक असहनीय बोझ बन जायेगा। १९१४ का समझौता भारतीयोंके इसी दृष्टिकोणकी जीत थी। जनरल स्मट्सके विरोधके बाद हम आशा करते हैं कि अब विधेयकको आगे नहीं बढ़ाया जायेगा। लेकिन हमें अपने आपको धोखे में नहीं रखना चाहिए। हाल में पारित नेटाल मताधिकार-वंचक विधेयक (नेटाल डिसफ्रेंचाइज बिल) इसी 'दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिबन्ध' के क्षेत्रको विस्तार देता है। इसलिए जनरल स्मट्सके विरोधका अर्थ केवल इतना ही है कि आजीविकाके मामले में भी इस प्रतिबन्धको लागू न किया जाये। उनका विरोध प्रतिबन्ध-मात्रके विरुद्ध नहीं है। फिर भी मैं जनरल स्मट्सको बधाई देता हूँ कि उन्होंने देशमें अपनी राजनीतिक साख कमजोर होनेकी परवाह न करते हए, इस तरहकी स्पष्टवादिता दिखाई। यह दूसरी बात है कि हमें तबतक सन्तोष नहीं होगा जबतक कि दक्षिण आफ्रिकाकी विधि-पुस्तिकासे, सभी विधियोंमें से गोरों और एशियाइयों या अधिक उपयुक्त शब्दोंमें कहिए तो गोरों और रंगदार लोगोंके बीच किये जानेवाले कानूनी भेदभावको बिल कुल ही निकाल नहीं दिया जाता।

[अंग्रेजीसे]

{left|यंग इंडिया, ५-३-१९२५}}