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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

चाहता हूँ कि यदि देवचन्दभाई अपने चरखेको तुरन्त नहीं सुधारेंगे तो वे मन्त्रीपदसे हटा दिये जायेंगे।

लेकिन विनोद छोड़िए। विनोदमें फटकार तो है ही। परन्तु चूँकि यह आग्रहीको डाँट है इसलिए उससे चोट तो लगेगी, लेकिन वह मीठी प्रतीत होगी। देवचन्दभाई-जैसा खरा और चरित्रवान मन्त्री मिलना मुश्किल है। उनकी सेवाओंका जितना भी उपयोग हम कर सकें, हमें करना चाहिए। यह नहीं हो सकता कि प्रजा सोती हो और राजा जागता रहे। हम स्वयं ही लापरवाह रहें तो फिर देवचन्दभाई सावधान कैसे रह सकेंगे? देवचन्दभाई चरखेका महत्त्व तो समझते हैं लेकिन चारों तरफ वातावरणमें शिथिलता होनेके कारण उन्होंने उसको दुरुस्त नहीं किया है, और उसे अच्छा नहीं बनाया। यदि उन्हें केवल चरखकी ही साधना करनी होती तो उनके चरखेकी यह अपूर्णता अक्षम्य थी। पोरबन्दरमें असन्तोष कुछ कम रहा, इसी प्रकार वाँकानेरमें भी। इस अपूर्णताको देखकर मुझे काठियावाड़में चरखेकी प्रगतिका अन्दाजा हो गया। चरखेको जो सम्मानपूर्ण स्थान मिलना चाहिए अभी नहीं मिला है। चरखेको लोग सहन कर लेते हैं लेकिन उसका स्वागत नहीं करते हैं। वह अभी अभ्यागत है, माननीय अतिथि नहीं बना है। और जबतक उसका अतिथि-जैसा स्वागत न होगा, काठियावाड़की भूख नहीं मिटेगी।

चरखेकी अपूर्णताके बारेमें मैने जो इतना विस्तारसे लिखा है उसमें कुछ मतलब है। चरखेके दोष ढूँढ़ निकालना आसान है। मेरे सुझाव ये हैं:

(१) मन्त्री लोग चरखोंकी गिनती करायें।

(२) चरखोंकी जाँच करनेके लिए एक या अधिक निरीक्षक नियुक्त किये जायें। और वे घूम-घूमकर प्रत्येक चरखेकी जाँच करें।

(३) चरखके मालिकोंसे अपने-अपने चरखेके दोषोंकी शिकायतें दर्ज करानेका अनुरोध किया जाये।

(४) चालू चरखोंके तकुए आदि सुधार दिये जायें। बड़े तकुओंको बदल दें और तकुएके पायोंमें आवश्यक फेरफार कर दें।

(५) निरीक्षक लोग चरखेके मालिकोंको उसमें किय गये सुधारोंके बारेमें समझाएँ।

(६) निरीक्षक जिस-जिस गाँवमें जाये वहाँ एक स्थानीय व्यक्तिको इस कामके लिए तैयार करे और उसका नाम दर्ज कर ले।

(७) वह इसका भी हिसाब रखे कि किस चरखेसे कितना सूत काता जाता है और वह कितने घंटे चलाया जाता है।

इस प्रकार व्यवस्थित काम करनेसे थोड़े ही समयमें चरखमें और उससे उत्पन्न होनेवाले सूतमें बड़ा सुधार होगा। मैंने अनुभव किया है कि मैं अपने चरखेपर आधे घंटेमें १०० गज सूत आसानीसे कात सकता हूँ परन्तु इन चरखोंपर तो मैं मुश्किलसे ५० गज सूत ही कात सका। और अच्छे चरखेपर कातनेमें जो आनन्द मिलता है