पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/२९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६९
राष्ट्रीय शिक्षा

इसका परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रीय शिक्षाको हमेशा कार्यक्रममें दूसरे दर्जेका या गौण स्थान दिया गया और किसी भी नेताने उसपर कभी शास्त्रीय ढंगसे विधिवत् स्वतन्त्र विचार नहीं किया। ऐसा लगता है कि आपको भी इस आन्दोलनसे उतना प्यार नहीं है जितना आपको खद्दरसे है; अथवा यह भी हो सकता है कि आपकी दृष्टिमें खद्दर और राष्ट्रीय शिक्षा एक ही वस्तु हों। स्वराज्यवादी लोगोंको केवल कौंसिलोंसे ही मोह है। इन बातोंपर विचार करते हुए क्या इस आन्दोलनकी कुछ भी प्रगति सम्भव है? और यदि यह आन्दोलन बार-बार असफल होता है तो क्या अधिकांश लोगोंपर इसका प्रभाव निरुत्साहजनक और शोचनीय नहीं होगा?...

शिक्षाका उद्देश्य बच्चोंकी शारीरिक और मानसिक शक्तिका विकास करना है, जिससे वे देशके योग्य नागरिक बन सकें। यह उनकी माध्यमिक स्कूलोंकी अवधिमें ही सम्भव है। उससे पहले वे बहुत छोटे होते हैं और उसके बाद उनका चरित्र विशिष्ट दिशामें मुड़ चुका होता है। और फिर उसे अभीष्ट दिशामें मोड़ना कठिन होता है। आपके मतानुसार माध्यमिक स्कूलों में बच्चोंको मुख्यतः सूत कातने, कपड़ा बुनने और उनसे सम्बन्धित दूसरे सभी कामोंमें लगना चाहिए। विभिन्न रुचियों और विभिन्न योग्यताके छात्रोंको एक ही ढाँचे में ढालनेकी कोशिशमें क्या शिक्षा अस्वाभाविक नहीं हो जायेगी और क्या उससे बच्चोंके मनोंपर बोझ नहीं पड़ेगा?... सूत कातना और कपड़ा बुनना पाठ्यक्रमका एक अंग हो सकता है, लेकिन वह पूरा पाठ्यक्रम नहीं बन सकता और उसे ऐसा बनाया भी नहीं जाना चाहिए। क्या राष्ट्रीय शिक्षाके कुछ व्यापक बुनियादी और निश्चित सिद्धान्त स्थिर करना और प्रत्येक संस्थाको अपनी आवश्यकता और सामर्थ्य तथा छात्रोंकी शक्ति और विवेकके अनुसार कार्य करने देना अधिक अच्छा नहीं है?...

पिछले लगभग ४० बरसोंमें राष्ट्रीय शिक्षाके क्षेत्रमें कुछ प्रयोग किये गये हैं। क्या आप कमसे-कम एक ऐसी संस्था बता सकते हैं जिसको आदर्श मानकर उसका अनुकरण करने के लिए हम गर्वपूर्वक सरकारसे कह सकें?

भौतिक सभ्यतामें, जिसके बिना हम निश्चय ही पिछड़ जायेंगे, सारा संसार प्रगति कर रहा है। अब यह एक निश्चित तथ्य हो गया है कि भारत पश्चिमी राष्ट्रोंके अधीन इसलिए हुआ कि उसकी वैज्ञानिक और भौतिक उन्नति पर्याप्त नहीं थी। हमने इतिहाससे यह शिक्षा ली है और इसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। लेकिन ऐसा लगता है कि आप भौतिक विज्ञान और रसायनशास्त्र-जैसे विषयोंको अधिक महत्व नहीं देते। क्या यह अजीब बात नहीं है?

मुझे यह नहीं मालूम कि सन् १९०६ में स्थितियाँ क्या थीं, लेकिन १९२१ में हालत कैसी थी यह मैं जानता हूँ। यदि राष्ट्रीय शिक्षाको हमें सच्चे अर्थोंमें राष्ट्रीय