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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय



ही दौर दौरा रहा तो नैतिक अधःपतनके अतिरिक्त कोई दूसरा परिणाम न निकलेगा । जो समाज पहले ही विविध कारणोंसे निःसत्व हो रहा है, इन कृत्रिम साधनोंके प्रयोगसे और भी अधिक निःसत्व हो जायेगा । इसलिए वे शख्स जो कि बिना सोचे- विचारे कृत्रिम साधनोंका प्रचार करते हैं; नये सिरेसे इस विषयका अध्ययन-मनन करें, अपनी हानिकर कृतियोंसे बाज आयें और क्या विवाहित और क्या अविवाहित दोनों ही ब्रह्मचर्यको लोकप्रिय बनायें । सन्ततिनियमनका यही उच्च और सच्चा तरीका है ।
[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १२-३-१९२५

१६३. टिप्पणियाँ


और सदस्य


पिछले सप्ताहके बाद गुजरातसे प्राप्त आँकड़ों तथा इलाहाबादसे प्राप्त पं० जवाह- लालके तारसे जो सूचना मिली है उसके अनुसार सदस्योंकी कुल संख्या ७८५१ हो गई है। पिछले सप्ताह यह संख्या ६६४४ थी । पिछले सप्ताहसे इस सप्ताह सिर्फ पाँच सूबों में वृद्धि दिखाई देती है । इस सप्ताह के अंक मिलाकर अंकोंका ब्यौरा इस प्रकार है :
ब ८० २५४ (अवर्गीकृत अंक भी शामिल हैं ) १४६ (अवर्गीकृत अंक भी शामिल हैं ) १. गुजरात २. संयुक्त प्रान्त अ १८४७ १२९ ३. बिहार ४१८ ४. महाराष्ट्र ५. सिन्ध ६. बर्मा ४८ १२३ तफसील प्राप्त नहीं २६ ३ योग १९२७ १०९४ ७३७ १७१ १६८ २९ बर्मा उन छ: प्रान्तों में से एक है जिनकी रिपोर्ट पहली मार्चतक नहीं आई थी। अन्य पाँच प्रान्त हैं, तमिलनाड, केरल, दिल्ली, असम और पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त । ऊपरके कुल जोड़में इन प्रान्तोंका लेखा शामिल नहीं है।
जैसा कि पिछली रिपोर्टसे लगा था, अधिकांश प्रान्त अपने-अपने जिलोंके अंक इकट्ठा करनेका काम पूरा नहीं कर पाये हैं। उम्मीद है कि पूरे वर्गीकृत अंक अगले सप्ताहतक ‘यंग इंडिया' के कार्यालयमें आ जायेंगे। यह सूचना हमें बुधवारकी सुबहसे पहले मिल जानी चाहिए।

सभासदों की सूची


पिछले सप्ताह सभासदोंकी जो सूची प्रकाशित की गई थी उसमें ऐसी बहुत-सी बातें नहीं हैं, जो होनी चाहिए थीं । छः प्रान्तोंने तो सूची भेजी ही नहीं । जिन्होंने भेजी भी है उनमें से बहुतोंने उसका वर्गीकरण ही नहीं किया है। कुछ सप्ताह पहले
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