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१६७. भेंटके सम्बन्धमें तार

१२ मार्च, १९२५

खेद है वर्तमान कार्यक्रममें भूतपूर्व महाराजासे मिलनेके लिए दिन निकालना असम्भव

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १४-३-१९२५

१६८. भाषण: क्विलोनमें

१२ मार्च, १९२५

अध्यक्ष महोदय, नगरपालिकाके पार्षदगण तथा मित्रो,

आपने जो सुन्दर अभिनन्दन-पत्र मुझे दिया है और उसमें जो भाव व्यक्त किये हैं उनके लिए मैं आपको हृदयसे धन्यवाद देता हूँ। मैं जानता हूँ कि मेरी ही तरह आपको भी मेरे मित्र मौलाना शौकत अलीकी अनुपस्थितिपर दु:ख है। आम तौरपर ऐसे सभी दौरोंमें मेरे साथ रहते हैं। हुआ यह है कि कुछ विशेष कार्यों में उलझे होने के कारण दिल्लीसे उनका हटना सम्भव नहीं है; और फिर इस दौरेमें उनका मेरे साथ आना जरूरी भी नहीं था। जैसा कि आप जानते हैं, फिलहाल त्रावणकोरमें मैं एक विशेष कामसे आया हुआ हूँ जिसमें उनकी उतनी दिलचस्पी नहीं है, जितनी कि हम हिन्दुओंकी है।

अस्पृश्यताकी समस्या अपनी सारी बुराइयोंके साथ मलाबारमें प्रकट हुई है। मैं स्वीकार करता हूँ कि वाइकोममें संघर्ष शरू होनसे पहले मझे मालम भी नहीं था कि अस्पृश्योंका किन्हीं विशेष स्थानोंमें प्रवेश कोई अपराध है। त्रावणकोर भारतके उन चन्द भाग्यशाली क्षेत्रोंमें से है जहाँ लगभग सभी लोग शिक्षित है। आप लोग एक ऐसे राज्यमें रहते है जो प्रगतिशील समझा जाता है; और मेरी रायमें ऐसा समझना ठीक ही है। मैं जानता हूँ कि इस राज्यने उन लोगोंके लिए बहुत-कुछ किया है, जिन्हें भ्रमवश नीच जातिका कहा जाता है। मैं उन्हें नीच जातिका कहना गलत मानता हूँ; उनके लिए सही शब्द होगा दलित जाति। स्वामी विवेकानन्दने हमें याद दिलाया था कि ऊँची जातिवालोंने ही अपनेमें से कुछ लोगोंको दलित किया था और इस प्रकार स्वयं नीच हो गये थे। आप अपने ही वर्गके मनुष्योंको नीचा

१. सर श्रीराम वर्मा, कोचीनके भूतपूर्व महाराजा।

२. १९-३-१९२५ के हिन्दू के अनुसार गांधीजी १८ मार्चको महाराजाले मिले।

३. यह भाषण क्विलोन नगरपालिका द्वारा भेंट किये गये अभिनन्दन-पत्रके उत्तर में दिया गया था।