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भाषण: वर्कलामें

द्योतक और प्रतीक है (हर्षध्वनि) लेकिन मुझे यह देखकर दुःख हुआ है कि वे मैंचेस्टरका, और वहाँका नहीं तो अहमदाबादका ही बना वस्त्र पहनती हैं। मेरा अनुरोध है कि वे असमकी अपनी बहनोंका अनुकरण करें। असमकी हर स्त्री बुनना जानती है, और असमके लगभग सभी घरोंमें हाथकरघा होता है। मैं हर स्त्री-पुरुषसे हाथकता और हाथ-बुना खद्दर पहननेका अनुरोध करता हूँ। ऐसा करनेसे आपका देशके गरीबसे-गरीब व्यक्तिके साथ सीधा सम्पर्क होगा और यदि आप मेरी नम्र सलाहको कृपापूर्वक मान लेंगे तो आप देखेंगे कि यह देश फिरसे समृद्ध हो जायेगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १४-३-१९२५

१६९. भाषण: वर्कलामें

१३ मार्च, १९२५

आपने कृपापूर्वक जो अभिनन्दन-पत्र मुझे दिया है, उसके लिए मैं आपका अत्यन्त आभारी हूँ। यह कहनेकी जरूरत नहीं कि मेरे मनमें यहाँ आनेकी बहुत इच्छा थी। मैं जानना चाहता था कि वे विभिन्न जातियाँ कौन-सी हैं जिन्हें वाइकोमकी उन सड़कोंपर जो सार्वजनिक या अर्धसार्वजनिक है, जानेकी मनाही है। इसलिए मेरा यहाँ आना और आप लोगोंके साथ व्यक्तिगत रूपसे मिलना और बातचीत करना स्थितिके अध्ययनमें सहायक हुआ है। घटनाचक्रके अवलोकनसे अब मुझे यह प्रत्यक्ष दीख गया है कि यदि पूज्य स्वामीजी वाइकोम जाकर नाकेबन्दीको लांघनेकी कोशिश करेंगे तो उनके साथ क्या व्यवहार होगा।

जैसा कि आप जानते हैं, मैं राजमातासे मिलनेवाला था, और पूज्य स्वामीजीसे भी भेंट करनेवाला था। मैं कल दोनोंसे मिला। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इन दोनों महान् व्यक्तियोंसे मिल पाया। मैं आपको बता सकता है कि जहाँतक राजमाताका व्यक्तिगत रूपसे सम्बन्ध है, उनकी सहानुभूति पूरी तरह न्यायकी माँग करनेवालोंके साथ है। मैं आपको यह भी बतानेको स्थितिमें हूँ कि उनकी रायमें वाइकोम और अन्य स्थानोंकी सभी सड़कें सभी वर्गोंके लिए खुली होनी चाहिए (हर्षध्वनि), लेकिन राज्यकी प्रधान होनेके नाते वे अनुभव करती हैं कि जबतक उनके पीछे जनमतका बल न हो, अर्थात् जबतक त्रावणकोरमें जनमत पूर्णतः वैध, शान्तिपूर्ण और विधानसम्मत ढंग से संगठित नहीं हो जाता, और जबतक यह मत उतने ही वैध, शान्तिपूर्ण विधानसम्मत रूपमें, फिर वह कितना ही जोरदार क्यों न हो, व्यक्त नहीं किया जाता, तबतक वे उस छूटका आदेश देनेमें असमर्थ हैं, जो माँगी जा रही है। जहाँतक मेरा सवाल है, मैं उनकी बातको पूरी तरह स्वीकार करता हूँ। अब आपका

१. यह एजवाहों तथा अन्य अस्पृश्यों द्वारा भेंट किये गये अभिनन्दन-पत्रके उत्तरमें दिया गया था।

२. स्वामी नारायण गुरु।


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