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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कर देनी चाहिए। आपके समाजमें अन्य कौन-कौनसे दुर्व्यसन हैं सो मैं नहीं जानता, किन्तु आपको अपने बीचसे अस्पृश्यताको तो दूर ही कर डालना चाहिए। दलित वर्गोंमें जो आपसे नीची जातिवाले हैं, उनके बीच आपको जाना चाहिए, उन्हें अपना मित्र बनाना चाहिए और जैसे बन वैसे उनकी सहायता करनी चाहिए।

कताई और खद्दरके सन्देशको अपना लीजिए। उसे हृदयंगम कीजिये। मैंने पूज्यपाद स्वामीजीसे इस कामको पूरी लगनसे उठानेका आग्रह किया है और आप सबसे भी मेरा निवेदन है कि आप कताई और बुनाईको अपनाइए और अपने श्रमसे तैयार किया गया कपड़ा पहनिए। मुझे मालूम हुआ है कि बहुत समय नहीं हुआ जब आपमें से हर व्यक्ति, या कमसे-कम आपके समाजकी प्रत्येक स्त्री बहुत अच्छी कताई कर लेती थी। हजारों लोग बुनाईका काम जानते थे। ये दोनों ही गौरवपूर्ण धन्धे हैं। मेरा निश्चित मत है कि कताईमें ही भारतकी आर्थिक मुक्ति निहित है। हाँ, यह जरूर है कि वैयक्तिक स्तरपर कताई लाभदायक धन्धा नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय स्तरपर यह अत्यन्त सम्मानपूर्ण और लाभजनक धन्धोंमें से है। इसीलिए मैंने कताईको भारतके लिए इस युगका यज्ञ कहा है। मुझे उस समय अपार हर्ष हुआ जब पूज्यपाद स्वामीजीने मझसे कहा कि वे स्वयं कताई करेंगे (हर्षध्वनि) और उन्होंने मुझे वचन दिया है कि वे अपने शिष्योंसे कहेंगे कि धवल खादीके वस्त्र पहनकर ही वे उनके सामने आ सकेंगे, अन्यथा नहीं। मैं चाहता हूँ कि आपमें से सभी शिक्षित लोग कताई करने और खादी पहननेमें गौरव अनुभव करें। मैं आशा करता हूँ कि आप महिलाओंके पास जायेंगे और उनसे भी ऐसा ही करनेको कहेंगे। मद्रास प्रान्तमें तमिल बहनें जो भारी-भारी साड़ियाँ पहनती है, आप उनकी नकल न कीजिए। आप विविधता और रंगोंके पीछे न पड़ें। मैं आपकी स्त्रियोंके धवल परिधानपर मुग्ध हूँ। पुरुष या स्त्रीकी जरूरतके लिए कुछ गज कपड़ा काफी होता है। आप मैंचेस्टर या अहमदाबादके बने कपड़ेपर निर्भर रहते हैं, यह आपके लिए शर्म और अपमानकी बात है। इसमें आपके गौरवकी हानि है। यदि आप इन चीजोंकी ओर ध्यान देंगे, तो राष्ट्रीय अनुष्ठान या वाइकोमके सत्याग्रहमें यही आपका योगदान होगा। वह लड़ाई लम्बी चलेगी, इससे डरिए मत। स्वामीजीने कल मुझसे कहा कि हो सकता है कि शायद हम अपने जीवनमें, इस पीढ़ीमें इस दुःखका अन्त न देख सकें, और सम्भवतः मुझे इस दु:खद स्थितिका अन्त देखनेका सुख अगले जन्मसे पहले न मिले। मैंने आदरपूर्वक उनसे असहमति प्रकट की। मैं इसका अन्त इसी युगमें और अपने जीवनकालमें ही देखनेकी आशा रखता हूँ, लेकिन बिना आपकी सहायताके नहीं। आप अपनी सामर्थ्य-भर मेरी सहायता करें ताकि मैं आपको दिखा सकूँ कि इस अन्यायका समय बीत चुका है। आप मर्दकी तरह अपना कर्त्तव्य करें, और मैं जिम्मेदारी लेता हूँ कि मैं हिन्दू समाजमें से पंचम वर्ग समाप्त कर दूँगा। (हर्षध्वनि) ईश्वर स्वामीजीको शक्ति और संकल्प-बल प्रदान करे कि वे आपमें समुचित समझ पैदा कर सकें, और ईश्वर आपको इस पुण्य कार्यको सम्पन्न कर सकनेकी बुद्धि और शक्ति दे।

मैं सार्वजनिक रूपसे पूज्यपाद स्वामीजीको अपने प्रति दिखाई गई असीम कृपा और सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूँ। आपने मुझे जो अभिनन्दन-पत्र दिया है और