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भाषण: अभिनन्दन-पत्रके उत्तरमें

मोटरसे आते हुए मार्गमें उन्होंने त्रिवेन्द्रमकी दो गन्दी बस्तियाँ देखी थीं, उनका उल्लेख करने के बाद महात्माजीने कहा कि मेरी रायमें नगरपालिकाका सदस्य अपने पदके योग्य तभी है जब वह अपनको उन नागरिकोंके स्वास्थ्यका जिम्मेदार माने जिनका वह प्रतिनिधित्व करता है। नगरोंमें ज्यादातर बीमारियाँ धूल, कूड़ा-कचरा और गन्दी हवासे पैदा होती हैं। उन्होंने तिरुचिनापल्लीका दृष्टान्त दिया जहाँ कावेरी नदीके तटपर ही, जिसका जल लोग पीते हैं, लोग मलमूत्र त्यागने बैठ जाते हैं। उन्होंने कहा कि तिरुचिनापल्ली एक बड़ा नगर है लेकिन वहाँके नागरिकों द्वारा जलव्यवस्थाकी घोर उपेक्षा की जाती है, लेकिन त्रिवेन्द्रममें यहाँकी स्वच्छता और सफाई में दंग रह गया है। लोग बड़े नगरोंमें काल कोठरियों-जैसे मकानोंमें रहकर घुटते रहते हैं, जहाँ ताजी हवा भी नहीं मिल सकती। लेकिन मुझे यह देखकर खुशी हुई है कि समूचे त्रावणकोरमें लोग दूर-दूर बने मकानोंमें रहते हैं। नागरिक जीवन पसन्द होने के कारण मैंने कई नगर-निगमोंकी गतिविधियोंका अध्ययन किया है, और मैं इसे अपना दुर्भाग्य समझता हूँ कि में अपना जीवन नगरपालिकाके काममें नहीं लग सका।

इसके बाद महात्माजीने कहा कि हालाँकि दक्षिण आफ्रिकामें हमारे देशभाई कुछ निर्योग्यताओंसे पीड़ित हैं जो मेरी समझमें अस्थायी हैं, लेकिन दक्षिण आफ्रिकामें बहुत अच्छे लोग हैं जो दुनियाके रुखको समझते हैं। रंगके विषयमें उनके विचार जो भी हों, लेकिन जिस ढंगसे वे अपने नगर-निगमोंका प्रबन्ध करते हैं उससे मैंने बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने गन्दे और असुन्दर स्थानोंको सुरम्य बना दिया है। जोहानिसबर्गको जो पहले एक रेतीला मैदान था उन्होंने एक सुन्दर उद्यान में बदल दिया और उस नगरको रमणीक बनानेमें बहुत धन खर्च किया। जब जोहानिसबर्गमें प्लेग फैला तब उन्होंने पैसा पानीकी तरह बहाया और २४ घंटे के अन्दर ही नगरको इस बीमारीसे मुक्त कर दिया। उन्होंने प्लेगसे आक्रान्त सारे क्षेत्रको शेष भागोंसे अलग कर दिया और सफाई इन्स्पेक्टरकी रिपोर्ट पर सरकारने एक खूबसूरत बाजारको जला कर राख कर दिया। आनेवाले संकटके उपाय पहलेसे ही सोच रखना और समय रहते तत्परतासे कदम उठाना नगरपालिकाको मितव्ययिता कही जाती है।

भारत-भरमें नगरपालिकाओंको राजनीतिसे अलग रहना चाहिए। उन्हें अपना सारा ध्यान नागरिकोंके स्वास्थ्य, उनके समुचित आहार और उनकी समुचित शिक्षापर लगाना चाहिए। मैं एक क्षणको भी यह नहीं मानता कि नगरपालिकाएँ केवल प्राथमिक शिक्षाकी व्यवस्था ही करें। मेरे विचारसे उन्हें चाहिए कि वे अपनी देखरेखमें बड़े होनेवाले बच्चोंकी उच्चतम शिक्षाका प्रबन्ध भी करें। दो बड़े नगरनिगमोंके अनुभवसे मेरा यह मत दृढ़ हो गया है कि अपने नगरोंकी सड़कोंकी रोशनी और नगरकी सफाईके इन्तजामके अलावा नगरपालिकाओंके हाथमें पुलिसका प्रबन्ध भी होना चाहिए। गांधीजीने उक्त नगरपालिकाके सदस्योंको अपनी एक बैठकमें सूत