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सम्पूर्ण गांधी वाड़्मय

नहाने-धोनेका अर्थ ही क्या है। उनका तो कोई ईश्वर भी नहीं है। वे सोचते है कि दूसरोंके भी मेरे जैसे आँख, नाक इत्यादि हैं, फिर भी ये लोग हमारा तिरस्कार करते हैं ऐसी अवस्थामें हम क्या करें? जरा इस परिस्थितिपर विचार कीजिए। क्या रामचन्द्रने अन्त्यजोंका तिरस्कार किया था? उन्होंने शबरीके जूठे बेर खाये थे; उन्होंने निषादराजको गले लगाया था। और शबरी तथा निषादराज दोनों ही अस्पृश्य थे। इसपरसे आपको यह बात समझ लेनी चाहिए कि हिन्दू धर्मके अन्तर्गत अस्पृश्यता है ही नहीं।

पवित्रताका तीसरा लक्षण है मुसलमानोंके प्रति मित्रभावका विकास। "यह तो मियाँ ठहरा", "मियाँ और महादेव साथ-साथ कैसे बैठ सकते हैं" यदि कोई ऐसा कहे, तो उसे बताइए कि आप मुसलमानोंके प्रति वैरभाव नहीं रख सकते।

यदि आप ये तीन बातें करें, तो कहा जा सकता है कि आपने सार्वजनिक जीवनमें पूरा भाग लिया है। इस तरहके आचरणसे आप प्रातः स्मरणीय बन जायेंगी और ऐसा माना जायेगा कि आपने हिन्दुस्तानको तारनेका काम किया। मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप ऐसी बनें।

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी: खण्ड ७

३. भाषण: बारिया क्षत्रिय परिषद्, सोजित्रामें

१६ जनवरी, १९२५

भाइयो, मुझे दुःख है कि इस परिषद्का काम समाप्त करनेके लिए हमारे पास केवल १० मिनट बच रहे हैं, क्योंकि ४ बजे अन्त्यज भाइयोंको बुलाया गया है। आपने तीन प्रस्ताव पास किये। ये तीनों अत्यन्त उपयोगी है। आपने शराब न पीनेका प्रस्ताव किया, यह अच्छी बात है। यह ठीक है कि शराब न पीनेकी जरूरत केवल आप ही की जातिको नहीं है। और भी दूसरी कौमें पीती हैं। आपने यह प्रस्ताव भी किया कि पैसा लेकर लड़की न दी जाये और स्त्रियोंका अपहरण न किया जाये। ये भी अच्छी बातें हैं। आप लोग क्षत्रिय हैं, और मानते हैं कि आपमें क्षत्रियोंके गुण हैं। यदि आप शास्त्रोंके पन्ने उलटेंगे, तो आपको मालूम हो जायेगा कि सच्चा क्षत्रिय कदम बढ़ाकर फिर उसे पीछे नहीं रखता। इसके सिवा वह दूसरोंका रक्षक होता है। मेरे लिए कहे बिना भी आप इस बातको समझते हैं कि ऐसा आचरण क्षत्रियका धर्म है। इस सिद्धान्तको मान लेनेके बाद आप पीछे नहीं हटेंगे। प्रतिज्ञा करनेका अर्थ है, वचन देना। किसी कामको करनेकी शपथ ईश्वरको साक्षी रखकर ही ली जानी चाहिए। आपने शराब न पीने, बेटी न बेचने और स्त्रियोंका हरण न करनेकी प्रतिज्ञा ली है। यदि आप अपने इन वचनोंका पालन नहीं करेंगे, तो समझना चाहिए कि आपने सारे संसारके प्रति गुनाह किया है। चारों वर्णोंको अपनी प्रतिज्ञाके अनुसार चलना चाहिए।