पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 26.pdf/३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
भाषण: बारिया क्षत्रिय परिषद्, सोजित्रामें

वचन-भंग करनेका अर्थ है पीछे हटना। इसलिए यदि आप प्रतिज्ञा लेते समय अपना हाथ ऊँचा करें और बादमें उसे भूल जायें, तो आप क्षत्रिय नहीं रहेंगे। वह आपके लिए लज्जाकी बात होगी, इतना ही नहीं, मेरे लिए भी लज्जाकी बात होगी। मेरे मनपर उसका बड़ा बोझ रहेगा। आपके बीचमें रविशंकर[१]काम कर रहे हैं। यदि आप उन्हें वचन दे दें कि चोरी नहीं करेंगे और फिर चोरी करें, तो रविशंकर क्या कर सकता है। सरकार आपको जेल भेज सकती है, किन्तु रविशंकर तो उपवास करेगा और खुद भूखों मरेगा। उसके ऐसा करनेका अभिप्राय यह होगा कि आप लोगों द्वारा वचन-भंग किये जानेकी अपेक्षा तो यह अच्छा है कि आप मुझे मार डालें। रविशंकरके सामने आपने वचन लिया है, इसलिए आपके वचन तोड़नेका अर्थ होगा उसके लिए उपवासका अवसर उपस्थित करना। मैं भी रविशंकरकी जातिका आदमी हूँ और उसके कदमसे कदम मिलाकर चलना चाहता हूँ। मैं मारना तो नहीं जानता, किन्तु मरना जानता हूँ। आप समझ लीजिए कि रविशंकर कोई अकेला आदमी नहीं है--एक पूरी पलटन उसके साथ है। आपको इस तरह सावधान कर देनेके बाद मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या आपको अपनी प्रतिज्ञा कबूल है? यह कोई नाटक नहीं है। मझे नाटक करना पसन्द नहीं है। कोई भी जाति नाटक करके ऊँचा नहीं उठ सकती। हम पढ़े-लिखे लोगोंने आपके सामने नाटक कर-करके आप लोगोंको बिगाड़ दिया है। इसलिए इस बार पूरी तरह सोच-विचार करके आप अपने हाथ उठायें। वह समय चला गया कि जब हाथ ऊँचा करनेका मतलब ही प्रतिज्ञाका पालन मान लिया जाता था। इतना मैंने प्रतिज्ञाके विषयमें कहा।

अब दूसरी दो बातें कहता हूँ। एक बात यह है कि आप लोगोंको खादी पहननी चाहिए। आप लोगोंको यह नहीं मानना चाहिए कि केवल नर्मदा और साबरमतीके बीच बसा हआ भाग ही आपका देश है। आपका देश एक बहुत बड़ा देश है। १९०० मील लम्बा और १५०० मील चौड़ा। यदि आप पैदल इसके आर-पार जाना चाहें, तो १९० दिन लगेंगे। इस बड़े देशमें रहनेवाले सभी व्यक्ति आपके भाई-बहन हैं। इसके लिए आपको सूत कातना चाहिए। कता हुआ सूत कांग्रेसके पास भेजना चाहिए। खादीको सस्ता करनेका और कोई उपाय नहीं है। आप रोज आधा घंटा कातें। यदि करोड़ों लोग आधा घंटा रोज कातें, तो खादी मुफ्त मिलने लगे।

दूसरी बात है अन्त्यजोंको अपनानेकी। क्षत्रियका अर्थ है गो-ब्राह्मण प्रतिपालक। गोका अर्थ दो सींगोंवाला प्राणी ही नहीं है। गायका अर्थ है कोई भी दुःखी प्राणी। अन्त्यज एक दुःखी जाति है। जिस क्षत्रियने अन्त्यजको भुला दिया वह क्षत्रिय ही नहीं रहा। अपनेको क्षत्रिय जातिका माननेवाला यदि अन्त्यजको त्याग दे, तो वह क्षत्रिय ही नहीं कहा जा सकता।

मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि वह प्रतिज्ञा पालन करनेमें आपकी सहायता करे। यदि आप अपनी प्रतिज्ञाका पालन करनेके इच्छुक हों, तो मुझ गरीबकी बात मानिए। जिसे भी व्रत पालना हो, वह सवेरे उठकर रामका नाम ले, सोने के पहले

 
  1. रविशंकर महाराज; गुजरातके एक सार्वजनिक कार्यकर्त्ता